रीवा- मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री एक ओर ग्रामीण क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए जनता के टैक्स का अरबों रुपए खर्च कर रहे हैं जिससे कि ग्रामीण क्षेत्र आगे बढ़ सके बावजूद इसके कुछ सरपंच सचिव की मिलीभगत से मुख्यमंत्री के मंसूबों पर पानी फेरने का कार्य किया जा रहा है ताजा मामला रीवा जिले के हनुमना जनपद पंचायत अंतर्गत बामनगढ़ ग्राम पंचायत का है जहां सरपंच के द्वारा कुछ ही दिनों में नाली निर्माण का कार्य गुणवत्ता विहीन करा कर लाखों रुपए आहरित कर लिए गए वहीं सरपंच के द्वारा भूसा घोटाला को भी पूर्व में अंजाम दिया जा चुका है, ग्राम पंचायत बामनगढ़ सरपंच चुनाव के समय अपनी कमाई और पूरा ब्योरा निर्वाचन आयोग के पास दर्शाया था लेकिन उस समय सरपंच की आय महज एक मजदूर की थी बावजूद इसके चुनाव जीतने के बाद कुछ ही दिनों में सरपंच के पास ट्रैक्टर, बोलोरो, मिक्सर मशीन सहित अन्य कई सामान खरीद लिए गए आखिरकार सरपंच के पास अचानक इतना बड़ा खजाना आ कहां से गया? जबकि पूर्व में कई बार सरपंच का भ्रष्टाचार पत्राचार के माध्यम से उजागर किया जा चुका है बावजूद इसके अधिकारियों के द्वारा सरपंच सचिव पर कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही है जिस कारण से सरपंच सचिव के हौसले बुलंद हैं और लगातार भ्रष्टाचार को अंजाम देने की तैयारी कर रहे हैं वही इस बात की जानकारी जब हनुमना एसडीएम को दी गई तो हनुमना एसडीएम के द्वारा बताया गया कि जो भूसा घोटाला हुआ है उसमें एनजीओ और सरपंच का आपसी विवाद चल रहा है जबकि बामनगढ़ ग्राम पंचायत को किसी भी एनजीओ के द्वारा संचालित नहीं किया गया है अब आप खुद इस बात से समझ सकते हैं कि किस तरह से अधिकारी ग्रामीणों को ही भ्रमित करने पर लगे हुए हैं जब एक अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा सरपंच का पक्ष लेते हुए बात को तोड़ा मरोड़ा गया और यह बता दिया गया कि यह एनजीओ और सरपंच के बीच का आपसी विवाद है जबकि यह बात पूरी तरह से झूठी है लेकिन ग्रामीणों को भ्रमित करने के लिए अनुविभागीय अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक लगे हुए हैं जिससे कि सरपंच सचिव का बचाव कर लिया जाए जबकि पूर्व में सरपंच सचिव की मिलीभगत से ग्राम पंचायत में कुछ ही दिनों में लाखों रुपए का घोटाला कर दिया गया आपको बता दें कि जब सरपंच और सचिव के द्वारा भूसा घोटाला किया गया था उस समय पर 20 से 40 मवेशियों की भूसा ना मिलने की वजह से मौत हो गई थी बावजूद इसके प्रशासन पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए बैठा है। अगर सरपंच की जांच की जाए कि निर्वाचन आयोग को जानकारी देने के बाद यह ट्रैक्टर, बोलोरो और मिक्सर मशीन कहां से आ गई तो सरपंच की हकीकत सामने आ जाएगी लेकिन अधिकारी कार्यवाही करेंगे नहीं क्योंकि अधिकारियों को अभी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है अगर अधिकारियों को भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना होता तो वह विगत दिनों पूर्व सरपंच सचिव पर कार्यवाही कर अंकुश लगा चुके होते अगर ऐसे ही अधिकारियों का रवैया चलता रहा तो आए दिन पूरे मध्यप्रदेश में सरपंच सचिव के द्वारा ग्रामीणों का हक छीना जाएगा और भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जाएगा।
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