जिले के उत्कृष्ट शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय में छात्रों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध नहीं हो रहा है। इस भीषण गर्मी में उत्कृष्ट महाविद्यालय के छात्रों को पेयजल के लिए दर-दर भटकना पेड़ रहा है। इसके बावजूद महाविद्यालय के तमाम बड़े अधिकारी अपने एसी कमरों में आराम फरमा रहे हैं। छात्रों की फजीहत से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा। दोपहर के वक्त तो महाविद्यालय का नजारा और दयनीय हो जाता है, जब कक्षा में पंखे नहीं चल रहे होते और वहां बैठे छात्र स्वच्छ शीतल पेयजल की तलाश में महाविद्यालय परिसर से बाहर बाजार की तरफ भागते हैं। इसके बाद भी छात्रों से मोटी रकम वसूलने वाले जिम्मेदारों के कान में जूं नहीं रेंग रही। छात्रों की इस समस्या को लेकर तमाम छात्र संगठन भी खामोश हैं। संगठन की सदस्यता दिलाने के वक्त जो छात्र कक्षाओं में घुसकर जबरन छात्रों को संगठनों से जोड़ते हैं, उन्हें भी छात्रों की इस समस्या से कोई फर्क नहीं पड़ रहा। हालांकि विगत वर्ष एनएसयूआई ने पेयजल -को लेकर छात्र आंदोलन किया था, तब प्रबंधन ने हर कक्ष के बाहर मटका रखवाने का आश्वासन दिया था। वक्त के साथ उक्त सारी व्यवस्थाएं भी अब ध्वस्त हो चुकी हैं। अभाविप के नगर मंत्री कर्षदीष तिवारी ने भी मामले को लेकर दो बार आंदोलन करने की बात कही है।
गौरतलब है कि इस उत्कृष्ट महाविद्यालय में स्नातक व स्नातकोत्तर कक्षाओं के मिलाकर करीब 13 हजार छात्र अध्ययनरत् है। सम्भाग में यह इकलौता महाविद्यालय है, जहां इतनी ज्यादा संख्या में छात्र पढ़ रहे हैं। इन छात्रों से सुविधाओं के नाम पर तमाम तरह की शुल्क महाविद्यालय द्वारा प्रतिवर्ष वसूली जाती है। इसके बाद भी छात्रों को स्वच्छ, शीतल पेयजल मुहैया कराने में महाविद्यालय प्रबंधन कोई ठोस व्यवस्था नहीं बना पा रहा है।
लगभग सभी वाटर कूलर खराब
बताते हैं कि महाविद्यालय के मुख्य भवन में नीचे वाटर कूलर लगा है। इसके अलावा, मुख्य भवन के ठीक पीछे भी वाटर कूलर लगे हैं। यहां काफी लम्बे स्थान पर नल टोटी लगी हैं। ऐसे ही, पुस्तकालय भवन में एक वाटर कूलर है। इधर, नये भवन के बीबीए विभाग के बगल मैं भी वाटर कूलर स्थापित है। इन सभी स्थानों के लगभग सभी वाटर कूलर खराब पड़े हैं, जो चालू भी हैं, उनमें पर्याप्त पानी नहीं भरा जा रहा है। कई नलों की टोटियां ही गायब हो चुकी हैं। सीसीटीवी कैमरा होने के बावजूद महाविद्यालय प्रबंधन अपने परिसर की सुरक्षा नहीं कर पा रहा है।
मरम्मत के अभाव में ठप हो गया 15 लाख रुपये का आरओ प्लांट
महाविद्यालय में पांच वर्ष पहले करीब 15 लाख रुपये की लागत आरओ प्लांट की स्थापना की गई थी। यह
आरओ प्लांट मुख्य भवन के पीछे ही स्थापित हुआ परंतु समय-समय पर मरम्मत न होने से यह प्लांट पूरी तरह ठप हो गया। महाविद्यालय के जिम्मेदारों ने कभी इसके उत्थान को लेकर कोई प्रयास भी नहीं किया, जिससे बड़े छात्र समूह को राहत मिल सके।
प्रवेश संख्या बढ़ाने पर हुई बात व्यवस्था पर नहीं : बता दें कि अभी गत 15 मई को ही महाविद्यालय में प्रवेश कार्यवाही संबंधी बैठक हुई है। इस बैठक में प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने संबंधी विषय और शुल्क वसूली पर गम्भीर चर्चा हुई। प्रवेशित छात्रों की संख्या बढ़ाने पर विमर्श हुआ परंतु जिन छात्रों को प्रवेश देना है, उनसे शुल्क लेना है, उन्हें सुविधा देने कोई बात इस बैठक में नहीं हो सकी। जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष, सदस्य से लेकर महाविद्यालय के तमाम • अधिकारी चाय-नाश्ते के साथ एसी कमरों में बैठे और बैठक की औपचारिकता निभाकर चल दिए।
बैठक हुई थी, नहीं, पानी को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। ये तो सामान्य बात है न। पानी की व्यवस्था करनी है, करवायेंगे
– राजेंद्र ताम्रकार, अध्यक्ष, महाविद्यालय जनभागीदारी समिति






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