सोहागी, सीधी, धार सहित इंदौर में भी हो चुका है बड़ा बस हादसा,लेकिन अब तक नहीं लग रहा दुर्घटनाओं पर लगाम।
मध्यप्रदेश के खरगोन में मंगलवार को एक बड़ा सड़क हादसा हो गया। हादसे मे बस पुलिया की रेलिंग तोड़कर 50 फीट नीचे सूखी नदी में जा गिरी। हादसे के दौरान बस में 50 से अधिक यात्री सवार थे। अब तक 24 के मारे जाने की सूचना है। मध्य प्रदेश में बीते कुछ समय मे बस हादसे आम होते जा रहे हैं। हर सड़क हादसे के बाद व्यवस्था पर सवाल उठते हैं और जैसे-जैसे घटना पुरानी होती जाती है, सवाल भी कमजोर पड़ते जाते हैं। नतीजा, ये होता है की हर कुछ दिनों में एक्सीडेंट की खबर आती रहती है। यहां हम आपको बीते दिनों हुए मध्य प्रदेश की बड़ी बस दुर्घटनाओं की लिस्ट दिखा रहे है।
सीधी बस हादसे में 53 लोगों की हो गई थी मौत
सीधी में 2021 मे 16 फरवरी को यात्रियों से भरी एक बस नहर में गिरने से 53 लोगों की मौत हो गई थी। ड्राइवर ने जाम से बचने के लिए नहर के सटे शार्टकट रास्ते से बस निकालने की कोशिश की। इसी दौरान वह स्टेयरिंग से नियंत्रण खो बैठा और बस फिसलकर पास में नहर में डूब गई।
धार के खलघाट में बस हादसे में 15 लोगों की मौत
जुलाई 2022 में धार जिले के खलघाट में सवारियों से भरी एक बस ब्रिज की रेलिंग को तोड़ते हुए नर्मदा नदी में गिर गई थी।इस घटना में भी 15 लोगों की मौत हो गई थी। यह बस इंदौर से पुणे जा रही थी।
इंदौर स्कूल बस हादसे में 6 लोगों की हुई थी मौत
इंदौर में 5 जनवरी 2018 को बायपास पर डीपीएस स्कूल की बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें पांच बच्चों सहित 6 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद प्रदेश भर मे उठे सवालों के बाद कई कदम उठाए गए थे,जो बाद मे अप्रभावी हो गए।
सीधी मोहनिया टनल बस दुर्घटना
24 फरवरी 2023 को अमित शाह की रैली से लौट रही तीन बस मोहनिया घाटी टनल के पास हादसा ग्रस्त हो गई थी जिसमे एक दर्जन से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। वही 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस घटना के बाद प्रसाशन के हाथ पैर फुल गए थे, और मुआवजे देकर मामले को शांत किया गया।
सोहागी मे हुआ था बड़ा हादसा
रीवा के सोहागी पहाड़ मे बीते साल हुए सड़क हादसे मे प्रयागराज से जबलपुर जा रही बस हादसे का शिकार हो गई, जिसके बाद घाटी मे स्ट्रीट लाईट लगाने, सड़क सही करने की बात हुई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद सब कुछ भूल दिया गया।
मनमानी करते हैं बस संचालक, सरकार ने आंखों पर पट्टी बांधी
असली सच्चाई यह है कि पूरे मध्य प्रदेश में बस संचालकों की मनमानी चल रही है। RTO के अधिकारियों की साठगाँठ के कारण इनके लिए कोई नियम-कायदा नहीं है। अंध गति से बसें दौड़ती हैं। लोगों को भेड़-बकरियों की तरह ठूंसकर भर लिया जाता है। न तो बसों का फिटनेस का ठिकाना नहीं होता। चालक कितनी प्रशिक्षित है, यह किसी को परवाह नहीं है। सवारियां बैठाने और एक-दूसरे से आगे निकलने के चक्कर में काबू होकर गाड़ियां चलाई जा रही हैं।
हर बस दुर्घटना के बाद सरकार की तरफ से औपचारिक बयान आता है, दुख जताया जाता है, मुआवजे का ऐलान कर दिया जाता है, और फिर वो ही ठाक के तीन पात। होना यह चाहिए कि सख्त नियम बनें और उनका पालन किया जाए।