मामले में जब राहुल गांधी की पहली पेशी हुई थी तब घांची मोदी समाज के तरफ से उनके वकील ने कहा था कि हम इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि राहुल गांधी अपने बयान पर खेद जता दे और सिर्फ इतना कह दे कि उनका इरादा समूचे मोदी समाज को अपमानित करना नहीं था और हम केस वापस ले लेंगे
मगर उस दौर से लेकर आज तक राहुल गांधी सावरकर के जमानत याचिका को बार-बार माफी वीर कहकर उन्हें अपमानित करते हैं तो राहुल गांधी के सलाहकारों ने उन्हें कहा कि आप माफी की कोई बात मत करिएगा आप अड़ जाइएगा कि जो उखाड़ना है उखाड़ ले माफी नहीं मांगूंगा
उसके बाद इस केस में राहुल गांधी की दूसरी बार भी पेशी हुई थी दूसरी पेशी पर भी मोदी समाज के वकील ने कहा कि वह अदालत का वक्त बर्बाद नहीं करना चाहते अगर राहुल गांधी अपने बयान पर खेद जता दे तो मैं यह केस वापस ले लूंगा और हम यह भी नहीं चाहते कि राहुल गांधी नरेंद्र मोदी से माफी मांगे हम यह चाहते हैं राहुल गांधी मोदी समाज से माफी मांगे
फिर जज ने राहुल गांधी से कहा कि माफी मांगने से कोई बड़ा या छोटा नहीं होता और आप किसी व्यक्ति विशेष से माफी नहीं मांग हैं मांग रहे हैं आपको एक समुदाय से माफी मांगना है
उसके बाद भी राहुल गांधी ने खेद जताने से इनकार कर दिया फिर इस मामले में कोर्ट कार्रवाई आगे चली और कोर्ट ने किसी टीवी चैनल के फुटेज पर भरोसा नहीं किया क्योंकि राहुल गांधी ने यह बयान एक चुनावी सभा में दिया था इसलिए अदालत में चुनाव आयोग से उसका प्रमाणित वीडियो फुटेज मंगाया
दरअसल चुनाव के दौरान हर बड़े नेताओं की वीडियोग्राफी चुनाव आयोग करता है उसके बाद जिस तारीख पर राहुल गांधी को दोषी करार देना था उस समय भी राहुल गांधी को दोषी करार देने के पहले अदालत ने कहा कि आप मोदी समुदाय से माफी मांग लीजिए राहुल गांधी ने मना कर दिया और अंततः राहुल गांधी को अकड़ को ध्यान में रखकर कोर्ट में सजा सुनाई है
अब यह जो बार-बार कांग्रेसी और कांग्रेसियों के सहयोगी दल कह रहे हैं अचानक राहुल गांधी की सांसदी क्यों गई यहां तक कि खुद को पढ़ा-लिखा कहने वाला अरविंद केजरीवाल कह रहा है जल्दबाजी में क्यों राहुल गांधी की सदस्यता छीन ली गई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जिस पल अदालत ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुना दी उसी पल राहुल गांधी पूर्व सांसद घोषित हो गए लोकसभा सचिवालय या किसी भी राज्य का विधान सभा सचिवालय का नोटिफिकेशन सिर्फ औपचारिकता भर है
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा था कि जैसे ही कोई भी अदालत किसी को दोषी करार देकर 2 साल या उससे ज्यादा सजा सुना देती है जनप्रतिनिधित्व एक्ट के तहत उसी पल उसकी सदस्यता चली जाएगी और इस कानून के तहत पूरे भारत में अब तक कुल 32 लोगों की सदस्यता गई है इसमें बीजेपी के लोग भी हैं समाजवादी पार्टी के लोग भी हैं खुद लालू प्रसाद यादव हैं कांग्रेश के भी लोग हैं