सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह के कार्यकाल को बढ़ाने की मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद अब BCCI में कोई पदाधिकारी लगातार दो बार यानी 6 साल तक पद पर बना रहेगा। इसे बोर्ड के संविधान में कूलिंग ऑफ पीरियड कहा जाता है। इसके तहत किसी भी पदाधिकारी का कार्यकाल 3 साल तक का था।
पहले समझें कूलिंग ऑफ पीरियड क्या है?
कूलिंग ऑफ पीरियड को लेकर लोढ़ा कमेटी ने 2018 में सिफारिश की थी। बाद में इन्हें तभी से लागू कर दिया गया। इनके मुताबिक, कोई भी पदाधिकारी पहले स्टेट बॉडी में तीन साल तक पद पर रहता है तो वह बोर्ड में तीन साल और पद पर रह सकता है। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद, अब कोई भी पदाधिकारी तीन साल स्टेट और 6 साल बोर्ड में किसी भी पद पर रह सकता है।
BCCI को क्या आपत्ति थी?
BCCI ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड के प्रावधान को खत्म करने की इजाजत मांगी थी। इस मामले में BCCI का कहना है कि कूलिंग ऑफ पीरियड किसी सदस्य के एक ही स्थान पर लगातार छह साल तक पद संभालने के बाद आना चाहिए, न कि स्टेट फेडरेशन या BCCI या दोनों को मिलाकर। मौजूदा संविधान के मुताबिक पदाधिकारी अगर राज्य संघ या BCCI या इन दोनों को मिलाकर छह साल का कार्यकाल पूरा करता है तो उसे कूलिंग ऑफ पीरियड में जाना होगा।
बाएं से- BCCI संयुक्त सचिव जयेश जॉर्ज, अध्यक्ष सौरव गांगुली, सचिव जय शाह और कोषाध्यक्ष अरुण धूमल।
अब इसका फायदा सौरव और जय शाह को मिलेगा
वर्तमान समय में BCCI में प्रेसिडेंट सौरव, जय शाह समेत पांच पदाधिकारियों ने बोर्ड और स्टेट बॉडी में 6 साल पूरे कर लिए हैं। सौरव गांगुली 23 अक्टूबर 2019 को BCCI के अध्यक्ष बने थे। इससे पहले वे 2014 में बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव बने थे, फिर 2015 में उन्हें अध्यक्ष का पद मिला।
इसी तरह, जय शाह 2014 में गुजरात क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव बने थे। ऐसा कहा जाता है कि उनका कार्यकाल आठ सितंबर 2013 से ही शुरू हो गया था। यानी सितंबर 2013 से अक्टूबर 2019 तक वह गुजरात क्रिकेट संघ से जुड़े रहे। इसके बाद BCCI सेक्रेटरी का पदभार उन्होंने 24 अक्टूबर 2019 को संभाला था। ऐसा कहा जा रहा है कि दोनों अगले तीन साल तक अपने पद पर बने रहेंगे।
राजीव शुक्ला UP स्टेट और BCCĪ को मिलाकर 6 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।
वाइस प्रेसिडेंट राजीव शुक्ला सांसद होने की वजह से BCCI पदाधिकारी बनने के अयोग्य हैं, क्योंकि बोर्ड के संविधान के मुताबिक कोई नेता पदाधिकारी नहीं हो सकता है। उनके भी 6 साल पूरे हो चुके हैं। वहीं कोषाध्यक्ष अरुण धूमल और संयुक्त सचिव जयेश जॉर्ज के भी स्टेट बॉडी और BCCI को मिलाकर 6 साल पूरे हो चुके हैं।