दिल्ली नगर निगम चुनाव का परिणाम आए करीब ढ़ाई माह होने वाले हैं, लेकिन अभी तक मेयर चुनाव (Delhi Mayor Election) नहीं हो पाए हैं. दिल्ली वालों को नये मेयर का इंतजार है और अब यह मसला शीर्ष अदालत के सामने विचाराधीन था .जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हुए यहां फैसला दिया है. 17 फरवरी को सर्वोच्च अदालत के फैसले से मेयर चुनाव का रास्ता साफ हो गया है,उम्मीद है मेयर के लिए दिल्ली वालों का इंतजार जल्द ही होगा. इससे पहले 13 फरवरी को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की टिप्पणी ने आप की उम्मीदों को मजबूती दी थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने माना था कि मनोनीत सदस्य यानी एल्डरमैन काउंसलर्स के पास वोटिंग के अधिकार नहीं हैं. इस मसले पर आम आदमी पार्टी की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 243R मनोनीत सदस्यों को वोटिंग का अधिकार नहीं देता है. सीजेआई ने भी इस पर कहा,’एक चीज साफ है, पहली नजर में अनुच्छेद 243R कहता है कि मनोनीत सदस्य निगम में वोट नहीं कर सकते हैं.’वहीं, उपराज्यपाल विनय सक्सेना की ओर से पेश हुए एएसजी संजय जैन ने कहा कि उनके पास भी इस पर कुछ तर्क हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा था कि यह एक विचारणीय मुद्दा है. समय की कमी के कारण पीठ इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकी थी और 17 फरवरी को इसे लेने पर सहमत हो गई थी. चीफ जस्टिस की टिप्पणी से ‘आप’ को फौरी राहत जरूर मिली थी, ताजा फैसले मे मुख्य तौर पर दो बैट कही गई है: दिल्ली मे bjp और आप के मनोनीत पार्षद वोट नहीं कर सकते तथा
पहले मेयर का चुनाव होगा, मेयर ही डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी चुनाव करवायेगी