आज वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे:3 इडियट्स, छिछोरे से अंजाना-अंजानी तक, फिल्में जो सिखाती हैं डिप्रेशन और सुसाइडल थॉट से कैसे उबरें

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आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है। दुनिया भर में अपनी अलग-अलग परेशानियों से जूझ रहे लोग सुसाइड का रास्ता अपना लेते हैं। ऐसे में बॉलीवुड में भी ऐसी कई फिल्में बनी हैं जो इस नाजुक मुद्दे और सुसाइड करने वाले की मानसिकता को बेहद करीब से दिखाती हैं। तो चलिए आज हम कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में जानते हैं।

3 इडियट्स

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अगर बात सुसाइड जैसे गंभीर विषय की हो रही है तो दिमाग में पहला नाम 3 इडियट्स का आता है। भारत में स्टूडेंट्स सुसाइ़ड केस सबसे ज्यादा सामने आते हैं। इस फिल्म में सुसाइड के मुद्दे को काफी सलीके से पर्दे पर उतारा गया है। फिल्म में अली फजल ने एक ऐसे इंजीनियर का रोल प्ले किया है जो अपने प्रोजेक्ट के रिजेक्ट होने के बाद सुसाइड कर लेता है। इसी तरह फिल्म के लीड कैरेक्टर्स में से एक राजू रस्तोगी (शरमन जोशी) अपने परिवार या दोस्तों में से किसी एक को चुनने के असमंजस में सुसाइड अटेम्प्ट करता है। हालांकि उसके दोस्त उसे बचा लेते हैं। बाद में राजू एक सफल इंजीनियर बनता है।

कार्तिक कॉलिंग कार्तिक

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रेयर फिल्मों में से एक कार्तिक कॉलिंग कार्तिक की स्टोरी एक ऐसे इंसान पर आधारित है जो दिमागी तौर पर बीमार होता है। फिल्म का लीड कैरेक्टर कार्तिक नारायण (फरहान अख्तर) एक दिमागी बीमारी से जूझ रहा होता है जो अपनी लाइफ से परेशान होकर दो बार सुसाइड की कोशिश करता है, लेकिन दोनों ही बार वो बच जाता है। फिल्म में फरहान अख्तर ने बेहतरीन एक्टिंग की है।

अंजाना-अंजानी

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फिल्म अंजाना-अंजानी भी एक अलग कॉन्सेप्ट पर बनाई गई फिल्म है। जिसमें दो ऐसे लोग होते हैं जो सुसाइड करना चाहते हैं। दोनों न्यू ईयर को सुसाइड करने का प्लान करते हैं और बाद में दोनों एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं। फिल्म में लीड रोल में प्रियंका चोपड़ा और रणबीर कपूर हैं।

छिछोरे

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फिल्म छिछोरे में स्टूडेंट के आईआईटी में जाने की लगन और सिलेक्शन न हो पाने के डिप्रेशन को बताती है। फिल्म की कहानी सुशांत सिंह राजपूत से शुरू होती है जो एक अधेड़ आदमी है और एक बच्चे का तलाकशुदा पिता भी। फिल्म की कहानी में राघव (मोहम्मद समद) स्टूडेंट है जिसे आईआईटी में सिलेक्ट होना है, पर रिजल्ट आने पर उसका नाम लिस्ट में नहीं होता है और सिलेक्ट न होने के डिप्रेशन में वो सुसाइड अटेम्प्ट कर लेता है। हालांकि बाद में वो बच जाता है और अपनी जिंदगी को फिर उसी तरह जीता है। फिल्म में स्टूडेंट्स के करियर को लेकर पेशनेट होने के साथ ही छोटी बातों पर उनके डिप्रेशन में जाने और सुसाइड जैसे बड़े कदम उठाने की कहानी को बेहतरीन तरीके से पर्दे पर उतारा गया है।

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