श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ीं कई रोचक कहानियां हैं. इन्हीं में से एक है राजा पौंड्रुक की कहानी जो श्रीकृष्ण होने का दावा करते थे.
श्री कृष्ण की जन्माष्टमी त्योहार पूरे भारत में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. कुछ जगहों पर कृष्ण लीला भी दिखाई जाती हैं.कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाएगी. इस साल जन्माष्टमी का महापर्व 18 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा. हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान कृष्ण द्वापर युग में हुए थे. वासुदेव और जानकी के पुत्र भगवान कृष्ण पूरे विश्व में भगवान विष्णु के अवतार के रूप में भी जाने जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण के पास बहुत सारी शक्तियां थी, सुदर्शन चक्र था, कोस्तुब मणि थी और पांच जन्य शंख था.
नकली कृष्ण की कहानी
महाभारत काल के बारे में कई ग्रंथों, पुराणों, महाभारत ग्रंथ में ये वर्णन मिलता है कि उस समय पोंड्रक नाम का राजा था, जो खुद को श्रीकृष्ण होने का दावा करता था. ऐसा वह इसलिए कहता था क्योंकि उसके पिता का नाम भी वासुदेव था. अपने आप को असली कृष्ण साबित करने के लिए उसने एक माया रची थी. उसने अपने पास भी एक नकली सुदर्शन चक्र रख लिया था, नकली कोस्तुब मणि रख ली थी और मोर पंख भी उसी तरह लगाता था जिस तरह श्री कृष्ण मोर पंख लगाते थें और करता था कि मैं ही असली कृष्ण हूं.
राजा पोंड्रक पुंड्र क्षेत्र का राजा था. इसका इलाका काशी के आसपास का माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि काशी नरेश से इसकी अच्छी मित्रता थी. राजा पोंड्रक अपनी माया से आसपास के इलाकों में प्रचार करने की कोशिश करता था कि वही श्री कृष्ण है. एक बार राजा पोंड्रक ने अपने करीबियों के बहकावे में आकर भगवान कृष्ण को संदेश भेजा कि मैं ही असली कृष्ण हूं और तुम मथुरा छोड़कर चले जाओ या फिर मेरे साथ युद्ध करो. उसके बाद भगवान कृष्ण राजा पोंड्रक के साथ युद्ध के लिए तैयार हो गए. जब भगवान कृष्ण युद्ध भूमि में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि राजा पोंड्रक तो बिल्कुल उनके जैसा लग रहा था. कुछ ही देर में भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल करके राजा पोंड्रक को हरा दिया था. इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि कभी भी नकल नहीं करनी चाहिए बल्कि नकल करने से बचना चाहिए और अपने गुणों को लेकर आगे बढ़ना चाहिए.