क्या भोपाल में ‘लव जिहाद’ हो रहा है या ये एक नई राजनीतिक रणनीति है? एक ओर आरोप हैं, कि कॉलेजों में योजनाबद्ध तरीके से हिंदू लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर हैं वो आवाज़ें जो कहती हैं—इसे धर्म के चश्मे से देखना गुनाह है। बीजेपी सांसद आलोक शर्मा के बयान ने सियासी हलकों में आग लगा दी है। उन्होंने खुले मंच से कहा—”मेरा जन्म दाढ़ी-टोपी वालों से निपटने के लिए हुआ है।” ये सिर्फ बयान नहीं, बल्कि एक चेतावनी है, जो नफरत और ध्रुवीकरण को जन्म दे सकती है।
भोपाल से बीजेपी सांसद आलोक शर्मा ने एक जनसभा में कहा कि शहर के निजी कॉलेजों में विशेष समुदाय के युवक, योजनाबद्ध तरीके से हिंदू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सिर्फ प्रेम-प्रसंग नहीं, बल्कि ‘लव जिहाद’ का एक संगठित अभियान है। शर्मा ने दावा किया कि इन युवकों द्वारा लड़कियों का यौन शोषण और ब्लैकमेलिंग हो रही है। उन्होंने कहा, “अगर किसी मियां में दम है तो सामने आकर करके दिखाए लव जिहाद। अब हम चुप नहीं बैठेंगे।” इस बयान में जिस तरह समुदाय विशेष को निशाना बनाया गया, वह न सिर्फ संवैधानिक मूल्यों को चुनौती देता है, बल्कि सामाजिक तानेबाने को भी प्रभावित करता है।
आलोक शर्मा ने सुझाव दिया कि गरबा जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में सनातन धर्म की महिलाओं के लिए अलग से व्यवस्था की जाए, ताकि ‘लव जिहाद’ करने वालों की घुसपैठ रोकी जा सके। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि 5 जून को भोपाल में ‘बड़ा हिंदू समागम’ आयोजित किया जाएगा, जिसमें बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री शामिल होंगे। उन्होंने सभी ‘सनातनी’ लोगों से एकजुट होकर इस ‘सांस्कृतिक युद्ध’ में भाग लेने की अपील की। यह बयान चुनावी गणित और धार्मिक ध्रुवीकरण की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।
सांसद शर्मा ने पुराने भोपाल की हिंदू आबादी में गिरावट पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पहले कोहेफिजा इलाके में 80% हिंदू थे, अब सिर्फ 20% बचे हैं। चौकबाजार में जहां पहले 45,000 हिंदू रहते थे, अब केवल 3,200 हैं। उन्होंने इसे “धार्मिक असंतुलन” कहा और इसे समाज के लिए “खतरनाक संकेत” बताया। यह बयान सांप्रदायिक डर फैलाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा सकता है, जहां जनसंख्या डेटा का उपयोग धार्मिक विभाजन को और गहराने के लिए किया गया है।
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने आलोक शर्मा के बयान को ‘सस्ती लोकप्रियता पाने का हथकंडा’ बताया। उन्होंने कहा कि अगर कोई अपराध करता है, तो वह किसी भी धर्म का हो—उसे सज़ा मिलनी चाहिए। आरिफ मसूद ने कहा, “लव जिहाद ग़लत है। बेटी किसी की भी हो, वह हमारी भी बेटी है। उसकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।” साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि दाढ़ी-टोपी पहनने वाले वही लोग हैं, जिन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया और देश को आज़ाद कराया। “देशभक्ति किसी पहनावे से नहीं, कर्मों से तय होती है।” उनका यह जवाब न केवल सामाजिक समरसता की बात करता है बल्कि धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद को भी मज़बूत करता है।






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