पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब समंदर गरजा, तो पाकिस्तान की नींद उड़ गई। भारतीय नौसेना का स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत अरब सागर में तैनात किया गया है। यह सिर्फ एक जहाज नहीं, भारत की समुद्री संप्रभुता की चलती-फिरती दीवार है। लेकिन सवाल यह है — क्या पाकिस्तान वाकई भारत से युद्ध छेड़ने की स्थिति में है? लेफ्टिनेंट जनरल मोहन भंडारी के बयान ने एक बार फिर इस पर से पर्दा उठा दिया है। उनका कहना है कि अगर पाकिस्तान ने जंग छेड़ी, तो उसके टैंक तेल के बिना खड़े ही रह जाएंगे। भारत की रणनीतिक तैयारी इतनी मजबूत है कि महज 7 से 10 दिनों में पाकिस्तान पूरी तरह परास्त हो सकता है।
“टैंक तो होंगे, पर चलेगा कौन?” लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी की बातों में सिर्फ चेतावनी नहीं, सच्चाई छुपी है। पाकिस्तान इस समय भयंकर आर्थिक और ऊर्जा संकट से गुजर रहा है। उसके पास युद्ध में इस्तेमाल होने वाला पर्याप्त फ्यूल और लुब्रिकेंट्स नहीं है। ऊपर से अफगानिस्तान के साथ तनाव, सेना में गुटबंदी और राजनीतिक अस्थिरता—ये सब मिलकर पाकिस्तान को बेहद कमजोर बना चुके हैं। ऐसे में अगर भारत ने अरब सागर का रास्ता ब्लॉक कर दिया, तो पाकिस्तान को तेल की एक बूँद भी नहीं मिलेगी। इस रणनीति में INS विक्रांत का उतरना बेहद अहम कड़ी बन गया है।
पहलगाम हमले के बाद एक और मोर्चा — एयरस्पेस की जंग। पाकिस्तान ने भारत के विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है, लेकिन भारत भी अब उसी भाषा में जवाब देने की तैयारी में है। अगर भारत ने पाकिस्तान के लिए अपना एयरस्पेस बंद किया, तो उसे करोड़ों डॉलर का नुकसान होगा। पाकिस्तान अपने हवाई क्षेत्र से गुजरने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से पैसे कमाता है, लेकिन भारतीय फ्लाइट्स अब पाकिस्तानी एयरस्पेस को बायपास कर रही हैं। इससे पाकिस्तान की आय को तगड़ा झटका लगने वाला है।
INS विक्रांत की तैनाती केवल एक सैन्य कदम नहीं, बल्कि एक संदेश है। यह भारत की उस नीति को दर्शाता है जो आतंकवाद पर शून्य सहिष्णुता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर पूर्ण नियंत्रण की पक्षधर है। भारत यह बताना चाहता है कि अगर उसके नागरिकों पर हमला किया गया, तो उसका जवाब सिर्फ ज़मीनी स्तर पर नहीं, समंदर और आकाश से भी दिया जाएगा। विक्रांत की गरज ने पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि भारत अब सिर्फ सहने वाला देश नहीं रहा, अब वह समय रहते जवाब भी देगा और सबक भी।






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