Friday, December 5, 2025

शक्ति दुबे छोड़ना चाहती थीं UPSC की तैयारी, अब बनीं टॉपर

शक्ति दुबे, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में देशभर में टॉप किया, अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ को देती हैं। जब तक उनका नाम UPSC की सूची में सबसे ऊपर नहीं आया, उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ था कि यह दिन आएगा। यह उनकी जिंदगी का एक नया मोड़ था, लेकिन यह सफलता आसान नहीं थी। क्या था वह संघर्ष, जो उन्हें कभी हार मानने के करीब ले आया, और कैसे उन्होंने अपने सपनों को साकार किया? यह कहानी है एक मजबूत इरादे और परिश्रम की।

शक्ति दुबे की सफलता के पीछे एक लंबा संघर्ष और कई मुश्किलें छिपी हैं। यह उनकी पांचवीं कोशिश थी, और जब 2023 में उनका चयन नहीं हुआ था, तो वह बहुत निराश हो गई थीं। “वह समय बहुत कठिन था,” शक्ति ने बताया, “मैंने सोचा था कि अब मैं यूपीएससी का एग्जाम नहीं दूंगी। लेकिन मेरे छोटे भाई आशुतोष ने कहा था, ‘तुम्हारे लिए भगवान ने रैंक वन बचाकर रखी है, तुम तैयारी करो।'” यह शब्द उनके मन में गहरे उतर गए और उन्होंने फिर से तैयारी शुरू की। इस बार सफलता उनके कदम चूमने आई।

“मुझे घरवालों का समर्थन और आत्मविश्वास बहुत ज़रूरी था,” शक्ति ने कहा। उनके परिवार ने न सिर्फ उन्हें निरंतर प्रोत्साहित किया, बल्कि उनका मार्गदर्शन भी किया। यह शक्ति का पांचवां अटेम्प्ट था, और उन्होंने इसे अपने परिवार के विश्वास और अपनी मेहनत के दम पर पूरा किया। उनकी दो जुड़वां बहनें और एक छोटा भाई भी सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं, और यह परिवार में एक नई प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।

शक्ति की सफलता का सबसे बड़ा कारण उनकी माँ का आशीर्वाद और प्रेरणा है। “माँ ने कभी हम तक कोई नकारात्मकता नहीं पहुंचने दी। वो हमेशा कहती थीं कि महिलाएं स्वाभाविक रूप से मजबूत होती हैं, और उन्हें हर चुनौती का सामना करना आना चाहिए।” शक्ति अपनी माँ की इच्छाशक्ति और त्याग को अपनी सफलता की सबसे बड़ी वजह मानती हैं। उनके लिए उनकी माँ केवल एक मार्गदर्शक नहीं, बल्कि एक प्रेरणा का स्रोत थीं।

शक्ति का कहना है, “जब मैंने रिजल्ट में अपना नाम सबसे ऊपर देखा, तो पहले तो यकीन ही नहीं हुआ। मैंने तुरंत अपने पिता को फोन किया और कहा, ‘पापा, मैंने UPSC में टॉप किया है।’ यह अहसास धीरे-धीरे हुआ, लेकिन जब वो क्षण आया, तो समझ में आया कि यह मेहनत, संघर्ष और परिवार के समर्थन का ही परिणाम था।”

अंत में, शक्ति की सफलता केवल एक व्यक्तिगत जीत नहीं है। यह एक सामाजिक संदेश भी है कि यदि परिवार का साथ हो, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। शक्ति दुबे का संघर्ष और उनकी माँ का समर्पण हमें यह सिखाता है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। यह केवल दृढ़ता, विश्वास, और सामूहिक मेहनत से संभव है। शक्ति ने हमें यह दिखा दिया कि अगर हौसला बुलंद हो, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।

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