जब शाहरुख खान ने बताया था कि जिहाद का सही अर्थ हिंसा नहीं, बल्कि अपने भीतर की बुराई से लड़ना है
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो कुछ भी हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 26 निर्दोष लोगों का बेरहमी से कत्ल और कई घायल – यह हादसा अपने पीछे गहरा आक्रोश छोड़ गया है। घटनास्थल से आ रही तस्वीरें, चीखती आवाजें और मासूमों के खून से सनी सड़कें हर भारतीय के दिल में दर्द और गुस्से का तूफान खड़ा कर रही हैं। इस भयानक हमले के बीच, सोशल मीडिया पर एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान ‘जिहाद’ शब्द के असली मायने को समझाते दिखते हैं। आज जब जिहाद शब्द को हिंसा का मुखौटा बनाया जा रहा है, तब शाहरुख का यह वीडियो एक बेहद जरूरी सच्चाई सामने लाता है।
वीडियो क्लिप में शाहरुख खान बेहद संजीदगी से कहते हैं, “मैं इस्लाम का अनुयायी हूं, मैं मुस्लिम हूं। हमारे धर्म में ‘जिहाद’ का अर्थ खुद के अंदर मौजूद बुराई से लड़ना है, अपने बुरे विचारों पर विजय पाना ही असली जिहाद है। सड़कों पर खून-खराबा करना जिहाद नहीं कहलाता।” शाहरुख का यह बयान न केवल धार्मिक शब्दों के सही मायनों को उजागर करता है, बल्कि उन आतंकियों के झूठे नैरेटिव को भी चुनौती देता है, जो हिंसा को धर्म का जामा पहनाने की कोशिश करते हैं। आज जब पहलगाम जैसे हमलों के बाद ‘जिहाद’ शब्द को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है, तब शाहरुख की यह सच्ची व्याख्या एक उम्मीद की किरण बनकर उभरी है।
पहलगाम का नरसंहार किसी एक समुदाय या राज्य का दर्द नहीं है, यह पूरे भारत के दिल पर हमला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकियों ने टूरिस्ट बसों को रोका, यात्रियों से उनका नाम और धर्म पूछा, और फिर हिन्दू यात्रियों को पहचानकर निशाना बनाया। आतंकियों ने लोगों से कलमा पढ़ने के लिए कहा, और फिर निर्दयता से गोलियां बरसाईं। इस हैवानियत में 26 जिंदगियां बुझ गईं। सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तानियों के वीजा रद्द कर दिए और उन्हें भारत छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है। देशवासियों की आंखों में आज आंसू हैं, लेकिन साथ ही एक सवाल भी है – क्या हम आतंक के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हो पाएंगे?
यह समय है सच्चे अर्थों की ओर लौटने का। ‘जिहाद’ जैसे पवित्र शब्द का गलत इस्तेमाल कर निर्दोषों का कत्लेआम करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। हमें यह समझने और समझाने की जरूरत है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, और न ही कोई मजहबी लड़ाई इंसानियत के कत्लेआम को सही ठहरा सकती है। शाहरुख खान जैसे प्रभावशाली हस्तियों द्वारा सही संदेश देना इस लड़ाई में उम्मीद की एक किरण है।
इस बीच शाहरुख खान अपने प्रोफेशनल करियर में भी एक नई उड़ान भरने जा रहे हैं। वे जल्द ही सिद्धार्थ आनंद की फिल्म ‘किंग’ में अपनी बेटी सुहाना खान के साथ स्क्रीन शेयर करते नजर आएंगे। यह फिल्म कथित तौर पर फ्रेंच क्लासिक ‘लियोन’ का भारतीय रीमेक होगी। ‘पठान’, ‘जवान’, और ‘डंकी’ जैसी सुपरहिट फिल्मों के बाद शाहरुख की यह फिल्म भी बड़े स्तर पर चर्चा में है। लेकिन आज जब देश एकजुटता की जरूरत महसूस कर रहा है, तब शाहरुख खान का यह संदेश एक नई दिशा की ओर इशारा करता है – नफरत को नहीं, अपने अंदर की बुराई को हराना ही असली जिहाद है। और यही संदेश हमारे देश को मजबूत बनाएगा।