धनबाद का वासेपुर… जो कभी गैंगवार के लिए बदनाम था, आज फिर सुर्खियों में है — लेकिन इस बार मामला कहीं ज़्यादा गंभीर है। शनिवार की सुबह जैसे ही सन्नाटा टूटा, एटीएस के जवानों ने इलाके को घेर लिया। नूरी मस्जिद और गफ्फार कॉलोनी में ताबड़तोड़ छापेमारी हुई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले की जांच अब झारखंड की गलियों तक पहुँच गई है। सवाल उठ रहे हैं — क्या वाकई वासेपुर की गलियों से जुड़ी हैं आतंक की उन साजिशों की डोरें, जिनसे पूरा देश कांप उठा था?
पहलगाम का वह हमला, जिसने देशभर को झकझोर दिया था, अब एक नए मोड़ पर है। 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए उस हमले में 26 लोग गोलियों का शिकार बने थे। इस हमले के बाद खुफिया एजेंसियां हर संभावित लिंक को खंगाल रही थीं। धनबाद के वासेपुर में हुई एटीएस की इस कार्रवाई में तीन संदिग्ध — अयन जावेद, यूसुफ और कौशर — को हिरासत में लिया गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, छापेमारी के दौरान पूरे इलाके में हड़कंप मच गया था। पुलिस ने बेहद गोपनीय तरीके से ऑपरेशन को अंजाम दिया, ताकि कोई सुराग हाथ से न निकल जाए।
खबर लिखे जाने तक एटीएस की टीमें लगातार पूछताछ में जुटी थीं। हिरासत में लिए गए तीनों संदिग्धों से कई महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद है। हालांकि अब तक कोई आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस या पुष्टि नहीं हुई है। फिर भी, सुरक्षा एजेंसियों की तेज़ी से यह साफ हो गया है कि किसी भी संभावित आतंकी नेटवर्क को तोड़ने के लिए सरकार और एजेंसियां पूरी तरह मुस्तैद हैं। सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तार संदिग्धों के मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी जब्त कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
इस घटना ने न सिर्फ वासेपुर बल्कि पूरे झारखंड को हिला कर रख दिया है। क्या वासेपुर आतंकियों के लिए एक नया सुरक्षित पनाहगाह बनता जा रहा है? क्या राज्य की सुरक्षा एजेंसियां पहले से सतर्क थीं, या फिर ये नेटवर्क अंडरग्राउंड रहकर ऑपरेट कर रहा था? ऐसे कई सवाल अब जनता के बीच गूंजने लगे हैं। वासेपुर का इतिहास देखें तो यहां पहले भी अवैध गतिविधियों का बोलबाला रहा है, लेकिन आतंकी कनेक्शन सामने आना पूरे सिस्टम के लिए एक चेतावनी है।






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