25 अप्रैल की सुबह जैसे ही पाकिस्तान के क्वेटा में सूरज निकला, किसी को भनक तक नहीं थी कि यह सुबह एक खूनी दोपहर में बदलने वाली है। मार्गट के सन्नाटे में अचानक गूंजा एक दिल दहला देने वाला धमाका। एक पल में सब कुछ तबाह हो गया। धूल, धुआं और चीखें… और जब धुंआ छटा, तो जमीन पर बिखरी थी पाकिस्तानी सेना की गाड़ी के परखच्चे और दस जवानों की लाशें। यह हमला न तो अचानक था, न ही किसी आतंकी संगठन की सनक—यह था एक संगठित, सुनियोजित हमला, जिसे अंजाम दिया बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने, वो भी रिमोट-कंट्रोल IED धमाके के ज़रिए।
यह हमला बलूचिस्तान के क्वेटा से कुछ ही दूरी पर स्थित मार्गट क्षेत्र में हुआ, जहां पहले भी विद्रोही गतिविधियों की सुगबुगाहट मिलती रही है। बलूच लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी खुद ली है। संगठन के प्रवक्ता जियांद बलोच ने बयान जारी करते हुए कहा कि, “ये हमले कब्जाधारी सेना के खिलाफ हमारी आज़ादी की लड़ाई का हिस्सा हैं और ये लगातार जारी रहेंगे।” BLA का दावा है कि एक रिमोट कंट्रोल IED से उन्होंने पाक सेना के काफिले पर हमला किया, जिसमें सेना की एक गाड़ी पूरी तरह तबाह हो गई और उसमें सवार सभी 10 जवान मौके पर मारे गए। इन जवानों में सूबेदार शहज़ाद अमीन, नायब सूबेदार अब्बास, सिपाही खलील, सिपाही जाहिद और सिपाही खुर्रम सलीम जैसे नाम शामिल हैं।
बलूच लिबरेशन आर्मी कोई नया नाम नहीं है। 1970 के दशक में गठित इस संगठन का उद्देश्य बलूचिस्तान की स्वतंत्रता है। कुछ समय के लिए यह संगठन निष्क्रिय रहा, लेकिन 2000 में एक बार फिर सक्रिय हो गया। बलूचिस्तान के लोग यह मानते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान उन्हें जबरन पाकिस्तान में शामिल किया गया था। यही कारण है कि वे खुद को पाकिस्तान से अलग एक राष्ट्र मानते हैं और स्वतंत्रता की मांग करते हैं। BLA आज पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी सिरदर्द बन चुकी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें 6000 से भी अधिक लड़ाके शामिल हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी हैं।
इस हमले पर भारत में भी प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो चुका है। बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर तीखा ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “बलूची ने पाकिस्तान सेना को ठिकाने लगाया। पाकिस्तान अब हमारे टुकड़े-टुकड़े गैंग की तरह टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा, 56 इंच।” दुबे का यह बयान सिर्फ राजनीतिक कटाक्ष नहीं है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्ते और भी अधिक तल्ख हो सकते हैं। हालांकि भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन ऐसी घटनाएं दोनों देशों के बीच कूटनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती हैं।






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