उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से एक दिल छूने वाली और प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जहां एक जोड़े ने अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए एक अनूठा कदम उठाया। शादी के सात फेरों के साथ-साथ इस जोड़े ने एक और वचन लिया, जो न केवल उनके परिवार बल्कि समाज के लिए भी नई दिशा को दिखाने वाला था। जी हां, इस जोड़े ने अपनी शादी के दिन देहदान और अंगदान का संकल्प लिया, जो न केवल उनके जीवन का एक अहम हिस्सा बनेगा, बल्कि यह समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश भी छोड़ेगा।
यह घटना इटावा जिले के खानपुर गांव से है, जहां अतुल यादव और लवी ने अपनी शादी के दिन देहदान और अंगदान का संकल्प लिया। शादी के दौरान जब जयमाल के बाद वर-वधू मंच पर खड़े थे, तब उन्होंने सबके सामने यह अनोखा निर्णय लिया। इस निर्णय ने न केवल उनके परिवार, बल्कि सभी घराती और बाराती को हैरान कर दिया। लवी, जो इटावा के महेवा विकासखंड के ग्राम निवाड़ी कलां की निवासी हैं, और अतुल यादव, जो सैफई पीजीआई में वार्ड ब्वाय के पद पर तैनात हैं, ने यह पहल समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से की है।
अतुल और लवी का मानना है कि देहदान के माध्यम से वे मृत्यु के बाद भी दूसरों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं। उनका यह कदम न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। जब वे अपने परिवार और रिश्तेदारों से यह संकल्प साझा करते हैं, तो यह एक बड़ा संदेश देता है कि हम अपनी संतान से ऐसे फैसलों की उम्मीद कर सकते हैं जो समाज को एक नई दिशा दें। इस विवाह समारोह में सैफई विश्वविद्यालय के एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डा. नित्यानंद ने वर-वधु को देहदान प्रमाण पत्र सौंपा, जिससे उनके इस महान कार्य को और अधिक सम्मान मिला।
वर के माता-पिता रामपाल सिंह और शांति देवी तथा वधु के माता-पिता दिनेश सिंह और राजकुमारी ने बच्चों के इस फैसले पर गर्व जताया और कहा कि यह संकल्प समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कार्य केवल परिवारों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बनते हैं। यह पहल इस बात का प्रमाण है कि युवा पीढ़ी अपने समाज के कल्याण के लिए सक्रिय रूप से सोच रही है और कदम उठा रही है।
यहां आपको बता दें कि देहदान और अंगदान का यह कदम उत्तर प्रदेश में पहले से एक चल रहे अभियान का हिस्सा है, जिसे ‘युग दधीचि देहदान अभियान’ कहा जाता है। इस अभियान की शुरुआत 2003 में जेके कॉलोनी जाजमऊ कानपुर निवासी मनोज सेंगर और माधवी सेंगर ने की थी, और आज यह अभियान प्रदेश भर में फैल चुका है। इस अभियान के तहत 4000 से अधिक लोग देहदान का संकल्प ले चुके हैं और प्रदेश के कई राजकीय मेडिकल कॉलेजों में 298 मृत शरीरों को शोध के लिए दान किया जा चुका है।






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