मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से एक दिल दहला देने वाली खबर आई है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए सुशील नथानियल का आज इंदौर के जूनी कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार ईसाई रीति रिवाज से किया गया। इस दुखद घटना ने न सिर्फ उनके परिवार को बल्कि पूरे शहर को गहरे शोक में डुबो दिया है। सुशील के अंतिम संस्कार में मंत्री तुलसी सिलावट, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और कई अन्य राजनीतिक हस्तियों ने शिरकत की। लेकिन इन सब के बीच सबसे ज्यादा दिल दहला देने वाला दृश्य था उनकी पत्नी जेनिफर का, जो अपने पति के ताबूत से लिपटकर बुरी तरह रो रही थी।
सुशील की अंतिम यात्रा वीणा नगर स्थित उनके घर से शुरू हुई, जहां से उनका पार्थिव शरीर एक विशेष वाहन में नंदा नगर चर्च तक लाया गया। चर्च में अंतिम प्रार्थना के बाद उनका शव कब्रिस्तान के लिए रवाना किया गया। लेकिन यात्रा से पहले, सुशील के परिवार के सदस्य और करीबी दोस्तों ने उनके घर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उनकी पत्नी जेनिफर की हालत बेहद बुरी हो गई। वह बार-बार अपने पति के ताबूत से लिपटकर उनकी वापसी की उम्मीद करती रही, मानो यह सच नहीं हो सकता।
सुशील की छोटी बुआ, इंदु डावर की आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे। कांपती आवाज में वह बार-बार यही सवाल पूछ रही थीं, “अब किसका इंतजार करूंगी मैं, बता मुझे।” यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखों में आंसू थे। सुशील का परिवार इस अपार दुख को सहन करने के लिए तैयार नहीं था, और यह उनके लिए एक अनहोनी जैसा था।
सुशील के बेटे, ऑगस्टिन ने घटना की कुछ और दिलचस्प जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आतंकवादी हमले के समय वे कैमरे के जरिए सेल्फी ले रहे थे। इस बेहद बर्बर हमले में 27 लोग शहीद हो गए थे, जिनमें सुशील भी शामिल थे। हमले में सुशील की बेटी आकांक्षा भी घायल हो गई, जिनके पैर में गोली लगी थी। सुशील के परिवार में उनकी पत्नी जेनिफर, बेटा ऑगस्टिन, और बेटी आकांक्षा के अलावा 21 वर्षीय ऑगस्टिन गोल्डी भी हैं, जो बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।
सुशील नथानियल अपनी जीविका के लिए एलआईसी की सैटेलाइट शाखा में कार्यरत थे। वह अपने परिवार के साथ 18 अप्रैल को कश्मीर गए थे, लेकिन 22 अप्रैल को उनकी मौत ने पूरे परिवार को तोड़ कर रख दिया। इस हमले ने परिवार के ही नहीं, बल्कि पूरे देश के दिलों को हिला दिया है। सुशील के परिवार का आक्रोश और दुःख इस हादसे से उत्पन्न हुआ गहरा शोक एक कड़वा सत्य बयान करता है, जो दुनिया को कभी नहीं भूलना चाहिए।
इंदौर की यह घटना एक दर्दनाक स्मृति बनकर रह गई है, और इसने हमें यह याद दिलाया है कि हमारे सैनिकों और नागरिकों की शहादत सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी है कि हमें सुरक्षा और शांति के लिए हमेशा जागरूक और तत्पर रहना होगा।






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