Friday, December 5, 2025

पहलगाम हमले के बाद मोदी सरकार सख्त, सिंधु जल समझौता रोका, पाक दूतावास बंद

क्या भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर जमी बर्फ अब पूरी तरह पिघलने वाली है? या यह एक नया अध्याय है—जो दो पड़ोसी देशों के बीच टकराव की ओर इशारा करता है? पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने अब शब्दों से नहीं, सीधा एक्शन से जवाब दिया है। दिल्ली के सियासी गलियारों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक, अब सबकी निगाहें भारत के इस बड़े फैसले पर टिकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक में लिए गए फैसलों ने एक नई राजनीतिक और कूटनीतिक हलचल पैदा कर दी है।

इस हाईलेवल CCS बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल सहित कई प्रमुख अधिकारी मौजूद थे। ढाई घंटे तक चली इस बैठक में पाकिस्तान को जवाब देने के लिए पांच अहम और निर्णायक फैसले लिए गए। इन फैसलों के पीछे साफ संदेश है—भारत अब सहन नहीं करेगा। आतंकी हमलों का जवाब अब सिर्फ मंचों से नहीं, नीतियों और कार्रवाइयों से भी मिलेगा।

सरकार का पहला बड़ा फैसला है सिंधु जल समझौते पर रोक। 1960 से पाकिस्तान के साथ चला आ रहा यह समझौता अब तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। जब तक पाकिस्तान आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक यह रोक जारी रहेगी। दूसरा बड़ा कदम है—भारत-पाक अटारी बॉर्डर को बंद करना। हालांकि जो भारतीय नागरिक पाकिस्तान में हैं, उन्हें 1 मई 2025 तक वापस आने की मोहलत दी गई है। यह संकेत है कि भारत अब रिश्तों में नरमी नहीं, सख्ती का रास्ता अपनाएगा।

तीसरा फैसला पाकिस्तान के नागरिकों पर है—अब कोई भी पाकिस्तानी सार्क वीजा स्कीम के तहत भारत में प्रवेश नहीं कर पाएगा। पहले से जारी सभी वीजा रद्द कर दिए जाएंगे और जो पाकिस्तान के नागरिक भारत में हैं, उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोड़ना होगा। चौथे फैसले के तहत दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास में तैनात सेना, नेवी और एयरफोर्स के प्रतिनिधियों को वापस भेजा जाएगा। भारत ने भी इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग से अफसरों को वापस बुलाने का फैसला किया है। यह फैसला कूटनीतिक संतुलन और सुरक्षा दृष्टिकोण से बेहद अहम है।

पाँचवां फैसला सीधे दूतावास के स्टाफ कटौती से जुड़ा है। नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास में अब केवल 30 अधिकारी रहेंगे, जो पहले 55 थे। यही नीति भारत ने भी इस्लामाबाद में अपनाई है। अब दोनों देशों के बीच केवल आवश्यक राजनयिक संवाद ही रहेंगे, बाकी सभी सहयोग फिलहाल थमा रहेगा। यह मोदी सरकार की ओर से स्पष्ट संकेत है—आतंक को पालने वालों के साथ अब कोई नरमी नहीं। यह फैसला न केवल पाकिस्तान के लिए एक संदेश है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की दृढ़ और निर्णायक कूटनीति का भी प्रतीक है।

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