“हर मां-बाप का सपना होता है कि उनका बेटा या बेटी एक दिन अफसर बने… लेकिन जब बेटा अपने बुलंद इरादों से देश के सबसे कठिन एग्जाम में झंडा गाड़ देता है, तो सिर्फ घर नहीं, पूरा प्रदेश गर्व से झूम उठता है। UPSC 2024 का रिज़ल्ट आ गया है, और इसमें कुछ नाम ऐसे हैं जिन्होंने न सिर्फ मेहनत की, बल्कि अपनी कहानी से देश को प्रेरणा भी दी। मध्यप्रदेश से निकले इन सितारों ने दिखा दिया कि अगर जज़्बा हो, तो गांव की गलियों से लेकर शहर की गलियों तक – सपनों की उड़ान कहीं भी भरी जा सकती है।”
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने मंगलवार को 2024 की सिविल सेवा परीक्षा का फाइनल रिज़ल्ट घोषित कर दिया है। इस बार पूरे देश में टॉप किया है प्रयागराज की शक्ति दुबे ने। लेकिन इस जीत की गूंज सिर्फ उत्तर प्रदेश तक नहीं, मध्यप्रदेश तक भी सुनाई दी है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, अशोकनगर और इटारसी – इन जिलों के होनहारों ने UPSC टॉपर्स की लिस्ट में जगह बना ली है। यह साबित करता है कि प्रदेश का युवा अब सिर्फ सपने नहीं देखता, उन्हें हकीकत में बदलना भी जानता है।
राजधानी भोपाल इस बार खास चर्चा में है क्योंकि यहां से रोमिल द्विवेदी ने 27वीं और क्षितिज आदित्य शर्मा ने 58वीं रैंक हासिल की है। रोमिल, सहकारिता विभाग में डिप्टी कमिश्नर के.के. द्विवेदी के पुत्र हैं। पिछले साल उनका चयन ऑल इंडिया रेवेन्यू सर्विस (IRS) में हुआ था, लेकिन IAS का सपना अधूरा था। उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और शानदार रैंक हासिल की। दूसरी ओर, क्षितिज भी पहले IRS में चुने जा चुके थे, लेकिन IAS बनने की जिद ने उन्हें फिर से मैदान में उतारा। अब उनकी मेहनत रंग लाई है।
शहरों से आगे बढ़ें तो गांवों से भी अद्भुत प्रतिभाएं सामने आई हैं। अशोकनगर के डंगौरा गांव के आशीष रघुवंशी ने 202वीं रैंक हासिल की है। उनके पिता पुलिस विभाग में ASI हैं, और यह सफलता एक साधारण परिवार के लिए असाधारण उपलब्धि है। जबलपुर के स्वर्णिम जैन ने 258वीं रैंक और इटारसी की गरीबी लाइन बस्ती से निकले मोनू शर्मा ने 359वीं रैंक से साबित किया है कि सपने साधनों के मोहताज नहीं होते, सिर्फ मेहनत और आत्मविश्वास चाहिए।
इस वर्ष कुल 1009 अभ्यर्थियों का चयन सिविल सेवा में हुआ है। इनमें 180 पद भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए हैं—जिसमें 73 अनारक्षित, 24 SC, 13 ST, 52 OBC और 18 EWS के लिए आरक्षित हैं। भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के लिए 150 पद हैं—जिसमें 60 UR, 23 SC, 10 ST, 42 OBC और 15 EWS शामिल हैं। हर साल की तरह इस बार भी चयन प्रक्रिया कड़ी और पारदर्शी रही, लेकिन मध्यप्रदेश के युवाओं ने खुद को इस दौड़ में साबित कर दिखाया।





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