बैतूल के मिलानपुर गांव में एक शांत दोपहर अचानक चीखों और धमाके की गूंज में बदल गई। बच्चे खेल रहे थे, आसमान साफ़ था, लेकिन अगले ही पल ऐसा हुआ जिसे सुनकर गांव का हर शख्स सहम गया। घर के अंदर जोरदार विस्फोट हुआ, जिससे दीवारें हिल उठीं और चार मासूम ज़मीन पर बेजान से पड़े थे। कोई सोच भी नहीं सकता था कि जिन नन्हे हाथों में खिलौने होने चाहिए थे, उन्हीं हाथों में मौत का सामान — डायनामाइट — आ जाएगा। यह महज़ हादसा नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ी लापरवाही और सवालों की एक लंबी श्रृंखला का इशारा है।
दरअसल, 6 साल का अंकित, 7 साल की अंकिता, 13 वर्षीय नीलम और 8 साल की सविता — चारों बच्चे आपस में खेलते-खेलते गांव के एक सुनसान हिस्से तक पहुंच गए, जहां उन्हें एक अजीब-सा उपकरण मिला। मासूम समझ नहीं सके कि ये कोई खिलौना नहीं, बल्कि विस्फोटक था — डायनामाइट। उत्सुकता और अज्ञानता में उसे घर ले आए और स्विच से जोड़ने की कोशिश की। बस, वहीं से शुरू हुई एक दर्दनाक कहानी, जब घर के अंदर ही जोरदार धमाका हुआ। धमाके की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि आस-पास के इलाके में दहशत फैल गई।
धमाके के तुरंत बाद आसपास के लोगों ने बच्चों को खून से लथपथ हालत में पाया और बिना देर किए जिला अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों की टीम ने बच्चों की स्थिति को गंभीर लेकिन स्थिर बताया है। फिलहाल चारों को अलग-अलग वार्ड में भर्ती किया गया है और विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में इलाज जारी है। प्रशासन की ओर से भी अस्पताल में निगरानी बढ़ा दी गई है। स्थानीय लोग और परिजन इस हादसे से सदमे में हैं, वहीं डॉक्टरों की टीम लगातार बच्चों को बचाने की कोशिश कर रही है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर बच्चों के हाथ डायनामाइट आया कैसे? बैतूल बाजार थाना पुलिस जांच में जुट गई है, लेकिन शुरुआती जानकारी में स्पष्ट है कि यह डायनामाइट “बेकार पड़ा” हुआ था — यानी ना तो ठीक से नष्ट किया गया, ना ही सुरक्षित रखा गया। क्या प्रशासन की लापरवाही इस हादसे के लिए जिम्मेदार है? और अगर हां, तो क्या कोई जवाबदेही तय होगी? सवाल सिर्फ इतना नहीं है कि बच्चों को क्यों नहीं रोका गया — सवाल ये है कि जानलेवा विस्फोटक बच्चों की पहुंच में कैसे आया?






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