“क्या आपने कभी सुना है कि कोई सनातन की रक्षा के लिए 140 किलोमीटर पैदल चले? क्या आपने सोचा है कि कोई महंत आज भी धर्म की एकता के लिए सड़कों पर उतरता है? और क्या आप जानते हैं कि ये पदयात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि सनातन धर्म के लिए एक आंदोलन बनने जा रही है?”
जी हां, ये कहानी है बाबा बागेश्वर यानी पंडित धीरेंद्र शास्त्री की, जो एक बार फिर सनातन के लिए मैदान में उतर रहे हैं। इस बार कोई दरबार नहीं, कोई कथा नहीं — बल्कि सड़कों पर कदम दर कदम धर्म की गूंज सुनाई देगी। बाबा धीरेंद्र शास्त्री 20 अक्टूबर से दिल्ली से वृंदावन तक ‘सनातन जोड़ो यात्रा’ निकालने जा रहे हैं, जिसकी गूंज सिर्फ 140 किलोमीटर तक नहीं, बल्कि देश के कोने-कोने तक सुनाई देने वाली है।
इस 8 दिनों की यात्रा का मकसद साफ है — भारत को एक हिंदू राष्ट्र घोषित करवाने की चेतना जगाना, जातिगत भेदभाव को मिटाना और समाज को एक सूत्र में बांधना। यात्रा का नाम ही इस उद्देश्य को दर्शाता है — ‘सनातन जोड़ो यात्रा’। बाबा बागेश्वर का कहना है कि यह यात्रा धर्म की पुनर्स्थापना के लिए एक शंखनाद है। वे मानते हैं कि देश में जिस प्रकार हिंदुओं को भयभीत करने की कोशिशें हो रही हैं, उसका उत्तर अब केवल जागरण और एकजुटता से दिया जा सकता है। इस यात्रा में युवा, बुजुर्ग, महिलाएं — हर वर्ग से लोगों के जुड़ने की संभावना है।
बाबा धीरेंद्र शास्त्री का यह स्पष्ट संदेश है — “हम पदयात्रा इसलिए निकाल रहे हैं ताकि भारत हिंदू राष्ट्र बने, छुआछूत समाप्त हो और समाज में एकता आए।” उन्होंने दो टूक कहा कि अगर हिंदू डर गया, तो उसे भारत छोड़ना पड़ेगा — और यही उन्हें स्वीकार नहीं। उनका कहना है कि वे रंगों से नहीं, ‘रंगदारी’ से विरोध करते हैं। बाबा चेतावनी देते हैं कि अगर कोई भारत को पाकिस्तान बनाने की कोशिश करेगा, तो “ठठरी और गठरी दोनों बांधनी पड़ेगी।” इस प्रकार की भाषा जहां एक ओर समर्थन जुटा रही है, वहीं दूसरी ओर सियासी हलकों में हलचल भी पैदा कर रही है।
16 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर भी बाबा ने तीखा रुख अपनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हिंसा प्रायोजित है और हिंदुओं को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उनका आरोप है कि जगह-जगह धार्मिक यात्राओं पर पत्थरबाज़ी हो रही है और मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं। लेकिन बाबा का यह भी दावा है कि “अब देश में बागेश्वर बाबा भी हैं, और अब हिंदू अकेला नहीं है।” उनके इन बयानों पर जहां समर्थकों में जोश है, वहीं आलोचकों द्वारा इसे ध्रुवीकरण की कोशिश बताया जा रहा है।
बाबा बागेश्वर की यह पदयात्रा केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक आंदोलन बनती दिख रही है। ‘सनातन जोड़ो यात्रा’ के नाम से शुरू हो रही इस मुहिम के माध्यम से वे समाज के सबसे जटिल मुद्दों को छूने जा रहे हैं — एकता, समानता और आत्म-सम्मान। The Khabardar News यह मानता है कि इस यात्रा के हर कदम पर देश में नई चर्चाएं होंगी — कुछ समर्थन में, कुछ विरोध में — लेकिन सवाल यह है कि क्या यह पदयात्रा समाज को बांटेगी या जोड़ेगी? यह यात्रा वास्तव में एक ऐसा आइना बन सकती है, जिसमें आज का भारत खुद को देख सकेगा।





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