शनिवार की सुबह, जब दुनिया अपनी नींद से जागने लगी थी, तब धरती ने एक रहस्यमयी कंपन के साथ सबको चौंका दिया। अचानक अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा के पास की ज़मीन जैसे क्रोधित हो उठी — धरती हिली, पहाड़ कांपे, और लोग सहमे हुए घरों से बाहर निकल आए। अफगानिस्तान से लेकर भारत के जम्मू-कश्मीर तक, सुबह 6 बजकर 47 मिनट पर आई इस प्राकृतिक चेतावनी ने बता दिया कि प्रकृति जब चाहे, अपना रौद्र रूप दिखा सकती है। भूकंप की तीव्रता 5.9 मापी गई और इसकी गहराई 86 किलोमीटर रही — एक ऐसा कंपन जो सतह से लेकर संवेदनशील दिलों तक गूंजता रहा।
यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) के अनुसार, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान की सीमा पर स्थित था, जो हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है। यह क्षेत्र पहले से ही टेक्टॉनिक प्लेट्स की सक्रियता के चलते उच्च भूकंपीय संवेदनशील जोन में आता है। शनिवार को आए इस झटके ने खासतौर पर अफगानिस्तान के बदख्शान और उसके आसपास के इलाकों में दहशत पैदा कर दी। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि लोग तेजी से अपने घरों से निकलकर खुले मैदानों की ओर भागे। अफरा-तफरी का माहौल कुछ ऐसा था जैसे अतीत की कोई बुरी याद फिर से लौट आई हो।
भारत के जम्मू-कश्मीर में भी इस भूकंप के झटके बखूबी महसूस किए गए। श्रीनगर, बारामूला, अनंतनाग जैसे संवेदनशील इलाकों में धरती के हिलते ही लोगों ने घरों से बाहर निकलकर खुद को सुरक्षित किया। कुछ स्थानों पर दुकानदारों ने फौरन अपने शटर गिरा दिए और लोग सड़कों पर इकट्ठा हो गए। राज्य प्रशासन ने तत्काल सतर्कता बरती और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन एजेंसियों को अलर्ट पर रखा। मौसम विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी (NDMA) लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, और जनता से अफवाहों से बचने की अपील की गई है।
भूकंप का केंद्रवर्ती क्षेत्र काफी दुर्गम और पहाड़ी है, जिससे राहत और बचाव कार्यों में कठिनाइयाँ आ सकती हैं। ऐसे इलाकों में सड़कें सीमित होती हैं और मौसम की परिस्थितियाँ पहले से ही चुनौतीपूर्ण बनी रहती हैं। हालांकि अभी तक जान-माल की कोई आधिकारिक क्षति की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सरकारें किसी भी संभावित संकट से निपटने के लिए पूरी तैयारी में जुटी हैं। स्थानीय प्रशासन के साथ सेना और राहत दल भी सतर्क हैं, ताकि किसी अप्रत्याशित आपदा की स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सके।
विशेषज्ञों के अनुसार, 86 किलोमीटर की गहराई वाला यह भूकंप मध्यम-स्तर का था, जिसकी वजह से सतह पर भारी तबाही की आशंका कम रही। फिर भी इसका असर दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचना एक बार फिर यह दर्शाता है कि हिंदूकुश क्षेत्र में टेक्टॉनिक गतिविधियाँ कितनी सक्रिय हैं। भूकंप चाहे छोटा हो या बड़ा, यह हमें चेताता है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमें हमेशा सजग रहना चाहिए। प्रशासन की ओर से लोगों से अपील की गई है कि वे अफवाहों से बचें, सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें, और आपदा के समय संयम बनाए रखें।






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