क्या एक खूंखार आतंकवादी भावनाओं के हथियार से अपनी सजा को टालने की कोशिश कर रहा है?
देश को दहला देने वाले 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का नाम लेते ही एक ही चेहरा सामने आता है – तहव्वुर राणा। अब जब उसके खिलाफ सबूतों की बौछार है, तो वह पूछताछ में सहयोग की बजाय अलग-अलग भावनात्मक तिकड़मों का सहारा ले रहा है। हाल ही में जब जांच एजेंसियों ने उससे सख्ती से सवाल किए, तो उसने सबसे पहले मांगा – पेन, पेपर और कुरान। जांच एजेंसियों ने उसकी ये मांग मान ली, लेकिन अब कहानी ने एक और मोड़ ले लिया है। तहव्वुर राणा अब नॉनवेज खाने और अपने परिवार से बात करने की मांग कर रहा है। आखिर यह आतंकवादी बार-बार मांगें क्यों कर रहा है? क्या वह सच से बचने की कोशिश कर रहा है, या फिर यह एक सोची-समझी रणनीति है?
एनआईए की कड़ी पूछताछ के बीच तहव्वुर राणा की ओर से लगातार नई-नई मांगें सामने आ रही हैं। पहले उसने कहा – मुझे कुरान चाहिए, फिर उसने मांगा – पेन और पेपर ताकि वह कुछ लिख सके। अब उसका नया अनुरोध है – मुझे अपने भाई से बात करनी है और मांसाहारी खाना चाहिए। लेकिन एनआईए के सूत्रों के मुताबिक, तहव्वुर राणा जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। बार-बार सबूत दिखाने के बावजूद वह मुंबई हमले में अपनी भूमिका से इनकार कर रहा है। जब एजेंसी ने उससे डेविड हेडली के बारे में पूछा तो उसने पूरी जिम्मेदारी उसी पर डाल दी। क्या यह एक रणनीति है खुद को मासूम साबित करने की?
26 नवंबर 2008 की वो रात कोई नहीं भूल सकता, जब 10 आतंकी समंदर के रास्ते भारत में दाखिल हुए और ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, नरीमन हाउस जैसी जगहों को अपना निशाना बनाया। पूरे देश ने खून और आंसुओं की बारिश देखी थी। तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर इस हमले की पूर्व योजना बनाई थी। उसकी भूमिका सिर्फ सहयोगी की नहीं बल्कि साजिशकर्ता और फंडिंग चैनल का हिस्सा मानी जाती है। अमेरिका से प्रत्यर्पित किए गए राणा के खिलाफ NIA के पास पुख्ता सबूत हैं, लेकिन वह अब भावनात्मक हथियारों और असहयोग की आड़ में बचने की कोशिश कर रहा है।
पूछताछ के दौरान NIA तहव्वुर राणा की नियमित मेडिकल जांच भी करा रही है, ताकि किसी भी स्वास्थ्य संबंधित बहाने से वह पूछताछ से बच न सके। रिपोर्ट्स के अनुसार, उसकी तबीयत फिलहाल सामान्य है। बावजूद इसके, वह जांच में कोई खास सहयोग नहीं कर रहा। जब-जब उसे सबूत दिखाए जाते हैं, वह बचाव की मुद्रा में आ जाता है – “मैं बेगुनाह हूं”, “हेडली ही मास्टरमाइंड था”। लेकिन एजेंसी मानती है कि यह एक पूर्व नियोजित स्क्रिप्ट है जो अमेरिका में पहले से तैयार की गई थी। क्या उसकी मांगें वास्तव में इंसानियत की पुकार हैं या एक खूंखार अपराधी का आखिरी दांव?






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