क्या आप जानते हैं कि आपकी एक छोटी सी बचत, आपके बुढ़ापे का सबसे बड़ा सहारा बन सकती है? क्या आपकी मेहनत की कमाई आपको रिटायरमेंट के बाद भी सम्मानपूर्वक जीवन दे सकती है?
सरकार अब ऐसी ही एक योजना लेकर आ रही है, जिसे ‘समान पेंशन योजना’ नाम दिया गया है। सूत्रों की मानें तो यह योजना इस साल के आखिर तक ज़मीन पर उतर सकती है। यह सिर्फ एक पेंशन स्कीम नहीं, बल्कि एक ऐसा बदलाव है जो देश के करोड़ों असंगठित क्षेत्र के कामगारों, छोटे कारोबारियों और आम जनता की जिंदगी को आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह पर ले जाने वाला है।
इस योजना की सबसे बड़ी खासियत इसकी समावेशिता है।
यह योजना सिर्फ सरकारी या संगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों के लिए है जो अब तक पेंशन की परिधि से बाहर थे। चाहे वह सड़क किनारे चाय बेचने वाला हो, या गांव का बुनकर, या फिर एक महिला जो अपनी छोटी सी दुकान चलाकर परिवार पालती है—हर कोई अब 18 वर्ष की आयु से इस योजना में जुड़ सकता है और अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकता है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय इस योजना की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में जुटा है। अनुमान है कि कुछ महीनों में इसे कैबिनेट की मंज़ूरी के लिए भेजा जाएगा। खास बात ये है कि इसमें अंशदाता अपनी इच्छानुसार जितना चाहें उतना योगदान कर सकेंगे। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति हर महीने 3000 रुपए का अंशदान करता है और एक बार में उसके पास 30 या 50 हज़ार रुपए अतिरिक्त हैं, तो वह रकम भी पेंशन खाते में जमा की जा सकेगी।
इसमें रिटायरमेंट की उम्र का विकल्प भी रहेगा—यानी कोई व्यक्ति चाहे तो पेंशन 58 साल की उम्र से शुरू करवाए या फिर 60 साल पर। साथ ही, योजना से जुड़ने के लिए किसी रोज़गार की बाध्यता नहीं रखी गई है। यानी अगर कोई व्यक्ति स्वरोज़गार करता है, जैसे कि अपनी दुकान चलाता है या खेतों में काम करता है, तो वह भी इस योजना का लाभ ले सकेगा। सरकार चाहती है कि कोई भी नागरिक बुढ़ापे में दूसरों पर निर्भर न रहे।
श्रम मंत्रालय विशेषज्ञों और असंगठित क्षेत्रों से जुड़े लोगों की राय ले रहा है ताकि योजना ज़मीनी हकीकत के अनुसार प्रभावशाली हो। सरकार का अनुमान है कि वर्ष 2036 तक भारत में बुजुर्गों की संख्या 22 करोड़ से अधिक होगी। ऐसे में यह योजना एक सुरक्षा कवच बन सकती है, जो न केवल सामाजिक बल्कि मानसिक संतुलन भी प्रदान करेगी।






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