नीमच, मध्यप्रदेश – केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 17 अप्रैल को मध्यप्रदेश के नीमच जिले में सीआरपीएफ के 86वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया। यह दिन न केवल सीआरपीएफ की बहादुरी और वीरता का सम्मान करने का था, बल्कि केंद्रीय गृहमंत्री ने इस अवसर पर नक्सलवाद के खात्मे का एक बड़ा दावा भी किया। अमित शाह ने इस समारोह में राइजिंग डे परेड की सलामी ली और विशेष तौर पर वीरता पदक पाने वाले सीआरपीएफ कर्मियों को सम्मानित किया। उनके साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, नीमच की प्रभारी मंत्री निर्मला भूरिया, सांसद सुधीर गुप्ता और अन्य विधायक भी उपस्थित थे।
सीआरपीएफ के 86वें स्थापना दिवस के इस खास मौके पर आठ सीआरपीएफ टुकड़ियों ने शानदार परेड का आयोजन किया। विशेष प्रस्तुति में CoBRA, RAF, Valley QAT और डॉग स्क्वॉड की इकाइयों ने अपनी महत्ता को सिद्ध किया। अमित शाह ने समारोह के दौरान शहीद जवानों की श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “हमारे वीर सैनिकों का बलिदान हम सभी को प्रेरित करता है।” इसके साथ ही, गृहमंत्री ने शहीदों के परिवारों और जवानों से संवाद किया, और उनकी वीरता को नमन किया।
अमित शाह के संबोधन में सबसे प्रमुख था उनका यह दावा कि, “हम 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त कर देंगे।” उन्होंने सीआरपीएफ के जवानों की सराहना करते हुए कहा कि यह सफलता सीआरपीएफ की कड़ी मेहनत और बलिदान के कारण ही संभव हो पाई है। शाह ने बताया कि, “सीआरपीएफ की वजह से नक्सलवाद आज सिर्फ चार जिलों तक सीमित रह गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है।”
इसके साथ ही, केंद्रीय गृहमंत्री ने जम्मू कश्मीर में सीआरपीएफ की भूमिका का भी उल्लेख किया, विशेष रूप से धारा 370 के हटने के बाद हुए विधानसभा चुनावों में सीआरपीएफ की शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान को सराहा। शाह ने कहा, “जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में एक भी बूथ लूटने की घटना नहीं हुई और न ही एक गोली चली, यह सब सीआरपीएफ की निष्पक्ष और ईमानदार सेवा के कारण संभव हुआ।”
अमित शाह ने कश्मीर और पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में सीआरपीएफ के योगदान को भी सराहा। उन्होंने कहा कि चाहे कश्मीर में आतंकवाद से लड़ना हो, पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करनी हो, या फिर नक्सलवाद को सीमित करना हो, इन सभी मोर्चों पर सीआरपीएफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। “सीआरपीएफ के वीर जवानों ने अपने बलिदान से देश को सुरक्षित किया है,” गृहमंत्री ने कहा।
सीआरपीएफ का स्थापना दिवस, जो हर साल 19 मार्च को मनाया जाता है, इस साल 17 अप्रैल को नीमच में विस्तारित समारोहों के तहत आयोजित किया गया। इस दिन की ऐतिहासिक महत्ता भी विशेष रही, क्योंकि 28 दिसंबर 1949 को स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सीआरपीएफ का नामकरण किया था।
नीमच के इस ऐतिहासिक स्थल पर आयोजित समारोह में सीआरपीएफ के अद्भुत बलिदान और वीरता का प्रदर्शन किया गया, जिसने न केवल जवानों के हौंसले को बढ़ाया, बल्कि पूरे देश को सुरक्षा और शांति की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की याद दिलाई।
अमित शाह ने इस समारोह में न केवल सीआरपीएफ के कार्यों की सराहना की, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ किए गए अभियानों और जम्मू कश्मीर में शांति स्थापित करने में सीआरपीएफ की भूमिका को उजागर किया। यह संदेश स्पष्ट था कि देश की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के जवान हमेशा तैयार हैं, और उनकी वीरता व बलिदान के कारण ही हम एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण भारत की ओर अग्रसर हो रहे हैं।





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