वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर एक दृश्य ने सभी को झकझोर कर रख दिया। एक 75 वर्षीय वृद्धा व्हीलचेयर पर बैठी अपनी बेटी और दामाद का इंतज़ार करती रही, जो उन्हें वहीं छोड़कर चले गए थे। यह दृश्य न केवल इंसानियत पर सवाल खड़े करता है, बल्कि एक फिल्म ‘वनवास’ की याद दिलाता है, जिसमें बेटा अपने पिता को काशी ले जाकर वहीं छोड़ देता है। रविवार को यह हृदयविदारक घटना तब सामने आई जब एक समाजसेवी ने वृद्धा का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया। वीडियो वायरल होने के बाद बुधवार को बेटी-दामाद वापस लौटे और अपनी गलती स्वीकार की।
वृद्धा कानपुर के शिवाला क्षेत्र की निवासी हैं और अपनी इकलौती बेटी व दामाद के साथ रहती थीं। वे दोनों रविवार को उन्हें काशी लेकर आए और मणिकर्णिका घाट पर छोड़कर चले गए। घंटों इंतजार करने के बाद जब महिला की तबीयत बिगड़ गई, तब सफाईकर्मियों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। यह घटना दर्शाती है कि कैसे आधुनिक समाज में पारिवारिक मूल्यों का क्षय हो रहा है। बेटी ने यह स्वीकार किया कि पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने मां की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन एक छोटी सी गलती ने सब कुछ बर्बाद कर दिया।
अस्पताल में भर्ती वृद्धा की हालत नाजुक पाई गई। शरीर में पानी की कमी, कमजोरी और मानसिक आघात के कारण वह बार-बार बेहोश हो रही थीं। होश में आने पर उन्होंने अपनी कहानी सुनाई, जिसमें कई दर्द छिपे थे। पति के गुजर जाने के बाद उनका मकान और नीचे की चाय की दुकान उनके दामाद ने टेकओवर कर ली थी। यह संकेत देता है कि शायद पारिवारिक मोह केवल संपत्ति तक सीमित रह गया है, प्रेम और करुणा अब पीछे छूटते जा रहे हैं।
समाजसेवी अमन कबीर ने बताया कि वृद्धा के शरीर पर चोट के निशान भी पाए गए हैं। उनसे जब परिवार का नाम लिया गया, तो वे डर गईं और पलकों की झपक से जवाब देने लगीं। जब उनसे पूछा गया कि क्या बेटी-दामाद को बुलाया जाए, तो उनका चेहरा डर से भर गया। उन्होंने अपनी पलकों को दो बार झुकाकर जैसे ‘ना’ कहा हो। यह दृश्य हर उस व्यक्ति के लिए आईना है, जो अपने माता-पिता को बोझ समझने लगता है।






Total Users : 13152
Total views : 31999