क्या आप मानेंगे कि भारत में एक ऐसा भी राज्य है जहाँ लोग साल में 12 लाख नहीं बल्कि 12 करोड़ रुपये तक कमा लें, फिर भी सरकार को एक पैसा टैक्स नहीं देते? यह कोई अफवाह नहीं, बल्कि सौ फ़ीसदी सच है। जब देश भर में लोग इनकम टैक्स के जाल में उलझे होते हैं, वहाँ एक छोटा सा राज्य अपने नागरिकों को इससे पूरी तरह आज़ाद करता है। यह बात न केवल चौंकाने वाली है बल्कि सोचने पर मजबूर करती है — आखिर ऐसा कैसे मुमकिन है? कौन है ये भाग्यशाली नागरिक? और भारत सरकार की नीतियों में उन्हें यह छूट कैसे मिलती है? आइए, इस खबर की तह तक चलते हैं और जानते हैं इस टैक्स फ्री जन्नत का सच।
भारत में हर वह व्यक्ति जिसकी आय सरकार द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है, उसे आयकर देना अनिवार्य होता है। इसके साथ ही GST, एक्साइज, कस्टम ड्यूटी जैसे कई अप्रत्यक्ष कर भी आम आदमी के जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। फरवरी 2025 के बजट में भले ही सरकार ने राहत देते हुए 12 लाख तक की आय को टैक्स फ्री किया हो, लेकिन टैक्स के बोझ से पूरी तरह आज़ादी तो फिर भी किसी को नहीं मिलती। मगर हैरानी की बात ये है कि एक राज्य ऐसा भी है, जो इस पूरे टैक्स सिस्टम से अलग है। इस राज्य के नागरिक न केवल इनकम टैक्स से बचे हुए हैं, बल्कि उन्हें शेयर बाजार और लाभांश पर भी कोई टैक्स नहीं देना पड़ता।
हम बात कर रहे हैं सिक्किम की – भारत के उत्तर-पूर्व में बसा एक खूबसूरत और छोटा राज्य, जिसकी टैक्स व्यवस्था बाकी देश से पूरी तरह अलग है। यहां के नागरिकों को अपनी आमदनी पर एक भी पैसा केंद्र सरकार को टैक्स के रूप में नहीं देना पड़ता। चाहे कोई किसान हो या कारोबारी, कोई शिक्षक हो या उद्योगपति – सभी टैक्स से मुक्त हैं। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों? इसका जवाब इतिहास में छुपा है। जब 1975 में सिक्किम भारत का हिस्सा बना, तब वहां की स्वायत्तता को बनाए रखने की शर्त पर भारत सरकार ने एक समझौता किया था। इसके अनुसार सिक्किम के नागरिकों को भारत के आयकर कानून से छूट दी गई।
इस विशेष छूट को संवैधानिक रूप से मान्यता मिली साल 2008 में, जब केंद्र सरकार ने आयकर अधिनियम में धारा 10 (26AAA) जोड़ी। इसके अनुसार, उन नागरिकों को आयकर से पूरी तरह छूट दी गई जो सिक्किम के मूल निवासी हैं और 26 अप्रैल 1975 से पहले राज्य में रह रहे थे। इस धारा के तहत “सिक्किमी” कहे जाने वाले नागरिकों को सिर्फ आय पर ही नहीं, बल्कि शेयर और लाभांश जैसी पूंजीगत आय पर भी टैक्स देने की आवश्यकता नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक करीब 94% सिक्किमियों को इस नियम से प्रत्यक्ष लाभ होता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है।
सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रावधान को पूरी तरह संवैधानिक और वैध बताया है। कोर्ट का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 371(F) के तहत सिक्किम को जो विशेष दर्जा प्राप्त है, वह पूरी तरह कायम रहेगा और टैक्स से छूट भी उसी का हिस्सा है। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया कि सिक्किम का टैक्स फ्री स्टेटस न सिर्फ एक ऐतिहासिक समझौता है, बल्कि एक संवैधानिक अधिकार भी है। यह छूट सिक्किम की पहचान बन चुकी है और वहाँ के लोग इसे गर्व से देखते हैं। साथ ही, इससे यह सवाल भी उठता है – क्या भारत के अन्य राज्यों को भी ऐसे मॉडल पर विचार करना चाहिए?






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