नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2025 — देशभर में पुलिस बलों के प्रशिक्षण और ढांचागत विकास को लेकर हाल ही में जारी ‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट’ ने दिल्ली पुलिस को सबसे आगे बताया है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस अपने कर्मियों के प्रशिक्षण पर सबसे अधिक खर्च करती है और इसके साथ ही महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। रिपोर्ट यह भी इंगित करती है कि अधिकारियों के रिक्त पदों की बढ़ती संख्या निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली पुलिस ने अपने कुल बजट का 2 प्रतिशत हिस्सा केवल प्रशिक्षण के लिए आवंटित किया है, जो कि राष्ट्रीय औसत 1.25 प्रतिशत से कहीं अधिक है। प्रति पुलिसकर्मी 28,614 रुपये खर्च किए जा रहे हैं जो पूरे देश में सबसे ज्यादा है। यह दर्शाता है कि दिल्ली पुलिस अपने स्टाफ की क्षमता निर्माण को लेकर गंभीर है और आधुनिक policing की दिशा में मजबूत कदम उठा रही है।
दिल्ली के लगभग 88 प्रतिशत थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और इतने ही थानों में महिला हेल्प डेस्क भी मौजूद हैं। ये सुविधाएं महिला सुरक्षा और पारदर्शिता की दिशा में पुलिस की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। रिपोर्ट यह भी उजागर करती है कि दिल्ली के कुल पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत है, जबकि अधिकारी स्तर पर यह संख्या 11 प्रतिशत है — दोनों ही आंकड़े देश के औसत से ऊपर हैं।
हालांकि, इस प्रगति के साथ कुछ चुनौतियां भी उभर रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 की शुरुआत में अधिकारियों के पदों पर 8 प्रतिशत रिक्तियां दर्ज की गईं, जो कि 2022 के 2 प्रतिशत की तुलना में चार गुना अधिक हैं। वहीं सिपाही स्तर की रिक्तियां 20 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत हो गई हैं, जो सकारात्मक संकेत है, लेकिन शीर्ष स्तर पर नेतृत्व की कमी चिंता का विषय बन सकती है।
रिपोर्ट ने आगाह किया है कि अगर वरिष्ठ अधिकारियों के पद लंबे समय तक रिक्त रहते हैं, तो इससे पुलिस तंत्र के निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है। इसके चलते जमीनी स्तर पर अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था बनाए रखने में बाधा आ सकती है। इसलिए रिपोर्ट में अधिकारियों की नियुक्तियों में तेजी लाने और प्रशिक्षण के स्तर को बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की सिफारिश की गई है।







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