देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक, UPSC सिविल सर्विसेज की परीक्षा, इस बार भी कई होनहारों के सपनों को हकीकत में बदलने का मौका बनी है। लेकिन इस बार झारखंड के कुछ नामी विद्यार्थियों ने अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ अपने सपनों को पूरा किया, बल्कि पूरे राज्य को गर्व महसूस कराया है। इस बार के UPSC रिजल्ट में झारखंड की कुछ बेटियों ने ऐसी सफलता हासिल की है, जिसने न केवल परिवारों का सिर गर्व से ऊंचा किया है, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था की मजबूत नींव को भी दर्शाया है। आइये जानते हैं, इन होनहार विद्यार्थियों के बारे में, जिन्होंने इस कठिन परीक्षा में अपना नाम रोशन किया।
यूपीएससी 2023 के परिणाम ने झारखंड के लिए एक गर्व की घड़ी लेकर आई है। इन होनहार विद्यार्थियों ने अपनी मेहनत, समर्पण और संघर्ष से यह साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है। टेंडर हार्ट की पूर्व छात्रा हर्षिता ने यूपीएससी मुख्य परीक्षा में 410वां रैंक हासिल किया है, वहीं जमशेदपुर की स्वाति शर्मा ने 17वां अखिल भारतीय रैंक प्राप्त कर झारखंड में टॉप किया है। इसके अलावा, डोरंडा की प्रेरणा सिंह ने भी इस परीक्षा में 271वां रैंक प्राप्त कर पूरे राज्य को गर्व महसूस कराया है। इन तीनों ने अपने नाम न सिर्फ परीक्षा के परिणाम में, बल्कि झारखंड की शिक्षा प्रणाली में भी एक नया अध्याय जोड़ा है।
हर्षिता का यह सफर खास रहा है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने स्कूल, टेंडर हार्ट को दिया है, जहां से उन्होंने नर्सरी से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई की थी। हर्षिता ने बताया कि बचपन से ही वह मेधावी छात्रा रही हैं, लेकिन इस सफलता के पीछे उनका स्कूल और वहां के शिक्षकों का बहुत बड़ा हाथ रहा है। उन्होंने टेंडर हार्ट की संस्थापिका गार्गी मंजू और स्कूल परिवार का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनका सही मार्गदर्शन और प्रेरणा ही उनकी सफलता का कारण बने। हर्षिता की सफलता से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरे झारखंड राज्य को गर्व महसूस हो रहा है।
अब बात करते हैं जमशेदपुर की बिटिया स्वाति शर्मा की, जिन्होंने अपनी मेहनत से झारखंड को 17वां अखिल भारतीय रैंक दिलाया। स्वाति के लिए यह सफलता आसान नहीं थी, लेकिन उन्होंने कठिनाईयों का सामना करते हुए यह मुकाम हासिल किया है। स्वाति की सफलता ने साबित किया है कि अगर आपके पास दृढ़ नायक भावना हो, तो आप किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। स्वाति ने कहा कि वह अब झारखंड के विकास के लिए काम करेंगी और युवाओं में बदलाव लाने की ताकत को पहचानती हैं। उनके इस बयान ने न केवल झारखंड के युवाओं को प्रेरित किया है, बल्कि उन्होंने यह दिखाया कि अगर सही दिशा में काम किया जाए, तो विकास का रास्ता कभी भी आसान हो सकता है।
डोरंडा की प्रेरणा सिंह ने चौथे प्रयास में सफलता प्राप्त की, जो न केवल उनकी मेहनत का परिणाम है, बल्कि उनके परिवार की भी यह एक बड़ी उपलब्धि है। प्रेरणा की मां, ममता सिंह जो पशुपालन विभाग में कार्यरत हैं, ने बताया कि यह सफलता बहुत कठिन थी, लेकिन उनकी बेटी ने कभी हार नहीं मानी। प्रेरणा का यह संघर्ष अन्य युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो कभी भी मुसीबतों से हार नहीं मानते और अपनी मेहनत से बड़े से बड़े लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। प्रेरणा ने बताया कि उनके लिए यह सफलता सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि उनके पूरे परिवार और समाज की मेहनत का परिणाम है।
इन सभी होनहार विद्यार्थियों की सफलता हमें यह सिखाती है कि मेहनत, संघर्ष और सही मार्गदर्शन से कुछ भी असंभव नहीं है। इनकी कड़ी मेहनत ने यह सिद्ध कर दिया है कि किसी भी कठिन परीक्षा में सफलता पाने के लिए सिर्फ किताबों का ज्ञान नहीं, बल्कि सही मानसिकता और निरंतर प्रयास भी जरूरी है। झारखंड के इन होनहार बच्चों ने अपनी सफलता से यह साबित किया कि यदि हम ठान लें, तो कोई भी चुनौती हमारे रास्ते में नहीं आ सकती। आज इनकी सफलता केवल इन तीनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे राज्य और देश के लिए एक मिसाल बन गई है। इनकी प्रेरणा से हम सबको यह सीखने को मिलता है कि मेहनत और समर्पण से हर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।






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