क्या आपको लगता है कि आपकी याददाश्त अब पहले जैसी नहीं रही? क्या अकसर आप कुछ भूल जाते हैं? किसी का नाम, कोई जरूरी बात या फिर वही बात जो कुछ मिनट पहले सुनी थी? अगर ऐसा है, तो ये केवल थकान नहीं… आपका दिमाग धीमे-धीमे ‘शटडाउन’ मोड में जा रहा है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर का कमजोर होना सामान्य बात है, लेकिन जब दिमाग जवाब देने लगे, तो इसका असर सिर्फ आपकी हेल्थ पर नहीं, बल्कि पूरे जीवन पर पड़ता है। और अगर समय रहते सचेत न हुए, तो ये थकावट डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसी बीमारियों में तब्दील हो सकती है, जिससे बाहर निकलना लगभग नामुमकिन है।
पर क्या आप जानते हैं, कि सिर्फ 5 लाइफस्टाइल बदलाव इस खतरे को टाल सकते हैं? चलिए जानते हैं वो बदलाव जो आपके दिमाग को सालों तक तेज़, हेल्दी और एक्टिव रख सकते हैं।
जैसे शरीर को फिट रखने के लिए जिम और एक्सरसाइज ज़रूरी होती है, वैसे ही दिमाग के लिए भी एक्सरसाइज जरूरी है। ब्रेन एक्सरसाइज – जैसे पजल्स सॉल्व करना, शतरंज खेलना, नई भाषा सीखना या कोई नया स्किल सीखना – आपके दिमाग की मांसपेशियों को ताकत देती है। रिसर्च बताती है कि जो लोग रोज दिमागी गतिविधियां करते हैं, उनमें न्यूरो-डिजेनेरेटिव बीमारियों का खतरा 30% तक कम होता है। खासकर 40 की उम्र के बाद, आपको अपने दिमाग को रोजाना एक “चैलेंज” देना चाहिए ताकि वह सुस्त न पड़े। याद रखिए – “एक्टिव दिमाग ही हेल्दी दिमाग होता है।”
कहते हैं, “You are what you eat.” और यही बात दिमाग पर भी लागू होती है। ब्रेन को हेल्दी बनाए रखने के लिए जरूरी है, ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन B और E, और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर भोजन। इसके लिए मछली, अखरोट, बादाम, ब्रोकली, हरी सब्जियां और बीजों को अपनी डाइट में शामिल करें। जंक फूड से जितना जल्दी दूरी बना लेंगे, उतना ही बेहतर रहेगा। डाइट सुधारने से ना सिर्फ दिमाग बेहतर काम करता है, बल्कि यह न्यूरॉन के डैमेज को भी रोके रखता है – जो डिमेंशिया जैसी बीमारियों का मुख्य कारण होता है।
शरीर का एक्टिव रहना, दिमाग के एक्टिव रहने की पहली शर्त है। रोजाना 30 मिनट की वॉक, योगा या हल्की फिजिकल एक्टिविटी आपके ब्रेन तक ऑक्सीजन और जरूरी न्यूट्रिएंट्स पहुंचाती है। इससे मूड अच्छा रहता है, डिप्रेशन कम होता है और दिमाग की थकावट कम होती है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग नियमित व्यायाम करते हैं, उनमें डिमेंशिया का खतरा 45% तक कम होता है। सिर्फ चलना ही नहीं, पार्क में समय बिताना, नेचर को देखना और हंसी में थोड़ा वक्त गुजारना – दिमाग के लिए अमृत समान हैं।
आपका दिमाग दिनभर की थकावट से कैसे उबरता है? जवाब है – नींद। लेकिन जब नींद अधूरी रह जाती है, तो दिमाग को “रीसेट” करने का समय नहीं मिलता। इससे याददाश्त कमजोर होती है और सोचने की क्षमता प्रभावित होती है। एक्सपर्ट्स की मानें तो रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है, खासकर बढ़ती उम्र में। गहरी नींद न सिर्फ शरीर को रिचार्ज करती है, बल्कि दिमाग के डैमेज हुए सेल्स को रिपेयर भी करती है। नींद एक ऐसी थैरेपी है जो बिना दवा के, दिमाग को ताकत देती है।






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