Sunday, December 14, 2025

Gadkari का दावा: Madhya Pradesh का हाइवे नेटवर्क होगा दुनिया का सबसे बेहतर, 3 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट्स साल भर में होंगे पूरे।

क्या आप यकीन करेंगे अगर हम कहें कि भारत का एक राज्य अमेरिका से बेहतर सड़कें बना सकता है? क्या ये महज एक राजनीतिक दावा है, या इसके पीछे छुपा है कोई बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर रिवॉल्यूशन? मध्यप्रदेश की ज़मीन पर कुछ ऐसा घट रहा है जो केवल ख्वाब नहीं, बल्कि विकास की नई हकीकत बन सकता है। सवाल उठता है—क्या नितिन गडकरी का दावा, जिसमें उन्होंने मध्यप्रदेश की सड़कों को अमेरिका से बेहतर बताने की बात कही, सिर्फ़ भाषण है या भविष्य की तस्वीर?

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मध्यप्रदेश के धार जिले से एक ऐसी घोषणा की, जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में गडकरी ने 5800 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली 10 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इनमें से कुछ परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि कई की नींव अभी डाली गई है। गडकरी ने कहा कि अगले दो वर्षों में मध्यप्रदेश का राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क अमेरिका से भी बेहतर होगा। इतना ही नहीं, एक साल के भीतर करीब 3 लाख करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पूरे करने का भी भरोसा जताया।

गडकरी ने अपने अंदाज़ में कहा, “मैं हवा में बात नहीं करता, जो कहता हूं, वह करके दिखाता हूं।” उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी देश की अमीरी की असली पहचान वहां की सड़कें होती हैं। गडकरी ने दावा किया कि मध्यप्रदेश की सड़कें सिर्फ़ यात्रा को आसान नहीं बनाएंगी, बल्कि ये राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ साबित होंगी। उन्होंने मुख्यमंत्री यादव की सराहना करते हुए कहा कि वह राज्य को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के मिशन में पूरी तरह जुटे हैं, और यही वजह है कि मध्यप्रदेश आज हर क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

गडकरी ने कहा कि किसी भी देश की तरक्की उसके बुनियादी ढांचे पर टिकी होती है। जल, ऊर्जा, परिवहन और संचार—जहां ये चार स्तंभ मजबूत होते हैं, वहां उद्योग फलते-फूलते हैं, और जब उद्योग बढ़ते हैं तो रोज़गार आता है। जब रोज़गार आता है, तो भूख, गरीबी और बेरोजगारी पीछे हटती हैं। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में वर्तमान में सड़क, पुल, फ्लाईओवर से लेकर ट्रांसपोर्ट नेटवर्क पर बड़े स्तर पर काम हो रहा है। और ये सभी प्रोजेक्ट सिर्फ़ शहरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों को भी जोड़ा जा रहा है, ताकि विकास सिर्फ़ कागज़ पर न रह जाए, बल्कि ज़मीन पर दिखे।

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