अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी एक और ऐतिहासिक खबर सामने आई है। मंदिर में राम दरबार की भव्य स्थापना जून महीने में की जाएगी और छह जून से इसे आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोला जाएगा। मंदिर निर्माण समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्र ने इस आयोजन की जानकारी साझा की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समारोह प्राण प्रतिष्ठा जैसा नहीं होगा, लेकिन इसका धार्मिक महत्व किसी से कम नहीं है।
इस आयोजन को राम मंदिर निर्माण की पूरी यात्रा से जोड़ा जा रहा है, जो वर्ष 2020 में शुरू हुई थी। 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी। अब उसी श्रृंखला में राम दरबार की स्थापना को एक नया चरण माना जा रहा है। यह मंदिर के पहले तल पर आयोजित होगा, जहां भगवान राम, माता सीता, और उनके भाइयों की भव्य मूर्तियाँ स्थापित की जाएँगी।
नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पहले ही मंदिर के भूतल पर हो चुकी है। अब प्रथम तल पर राजा राम को दरबार के रूप में विराजमान किया जाएगा। इस कार्य के अंतर्गत भगवान राम के साथ माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान की मूर्तियाँ भी स्थापित की जाएंगी। अनुमान है कि ये मूर्तियाँ 23 मई को अयोध्या पहुँचेंगी और उसी दिन प्रथम तल पर स्थापित कर दी जाएंगी।
समिति के अनुसार, मूर्तियों की स्थापना के बाद धार्मिक अनुष्ठान और विशेष पूजाएँ की जाएंगी। हालांकि इसे प्राण प्रतिष्ठा नहीं कहा जाएगा क्योंकि वह पहले ही हो चुकी है। पाँच जून को विशेष पूजा के बाद राम दरबार को श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा। इस दिन विशेष पूजा-पाठ और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मंदिर में पावन वातावरण रहेगा। आयोजन की तिथियाँ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत शुभ मानी जा रही हैं।
गौरतलब है कि भगवान राम की जो मूर्ति स्थापित की जाएगी, वह करीब पांच फुट ऊँची और जयपुर के सफेद संगमरमर से बनी हुई है। यह प्रतिमा अत्यंत सुंदर और शिल्पकारी का अद्भुत उदाहरण होगी। साथ ही, राम दरबार में मौजूद अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होंगी। यह आयोजन अयोध्या के धार्मिक महत्व को और अधिक बढ़ा देगा तथा राम भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।






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