अहमदाबाद में आयोजित कांग्रेस के 84वें अधिवेशन का समापन एक मजबूत राजनीतिक और वैचारिक संदेश के साथ हुआ। राहुल गांधी ने अपने भाषण में वक्फ संशोधन बिल को संविधान पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि यह “फ्रीडम ऑफ रिलीजन” को कमजोर करने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि RSS इसके जरिए क्रिश्चियनों पर निशाना साधने की तैयारी कर रही है। राहुल ने कहा कि यह एक एंटी-रिलीजन बिल है और इसका विरोध पूरे देश को करना चाहिए। उन्होंने मोदी सरकार पर संस्थाओं को नियंत्रित करने और संविधान की आत्मा को खत्म करने का भी गंभीर आरोप लगाया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ईवीएम को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव अब बैलेट पेपर से कराए जाने चाहिए। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत को संदेह के घेरे में बताया और दावा किया कि वहां 150 में से 138 सीटें जीतना एक “अनैतिक जीत” है। खड़गे ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार सार्वजनिक संपत्तियों को अपने उद्योगपति मित्रों के हाथों बेच रही है और जो संस्थाएं पंडित नेहरू ने बनाई थीं, उन्हें मोदी सरकार एक-एक करके खत्म कर रही है। कांग्रेस का यह रुख इस बात को उजागर करता है कि पार्टी अब जनसंघर्ष की राह पर लौटने को तैयार है।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में दलितों, आदिवासियों, ओबीसी और गरीबों के हक की बात करते हुए कहा कि आज देश में सामाजिक न्याय को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले बीएचईएल, बीएसएनएल जैसे संस्थानों में पिछड़े वर्गों को रोजगार मिलता था, लेकिन अब इन संस्थानों को कॉर्पोरेट हाथों में सौंप दिया गया है। अग्निवीर योजना पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि युवा अगर युद्ध में शहीद होता है, लेकिन अगर वह अग्निवीर है तो उसे न पेंशन मिलेगी और न शहीद का दर्जा। यह नाइंसाफी कांग्रेस कभी बर्दाश्त नहीं करेगी।
जातिगत जनगणना को लेकर राहुल गांधी ने इसे देश की आवश्यकता बताया और कहा कि तेलंगाना मॉडल को पूरे देश में लागू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि तेलंगाना में 90% आबादी ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यकों की है लेकिन उच्च पदों पर उनकी भागीदारी नगण्य है। राहुल का मानना है कि जातिगत जनगणना से ही शिक्षा, नौकरियों और अवसरों में संतुलन आ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी इस प्रक्रिया को रोकना चाहती है क्योंकि वह सामाजिक न्याय की राजनीति में विश्वास नहीं रखती।
अधिवेशन में यह स्पष्ट किया गया कि कांग्रेस 2027 के गुजरात चुनाव और राष्ट्रीय स्तर पर संविधान बचाओ यात्रा की शुरुआत अहमदाबाद से करेगी। कार्यक्रम में देशभर से आए 3000 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी प्रमुख रूप से शामिल रहे। कार्यकर्ताओं को संगठित करने और उन्हें चुनाव की रणनीति से जोड़ने पर भी फोकस किया गया। अधिवेशन की भव्यता को देखते हुए यह स्पष्ट था कि कांग्रेस एक बार फिर से जनआंदोलन की राजनीति के जरिए सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है।






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