श्रीराम के सेवक से जीवन गुरु तक – हनुमान जी की प्रेरणादायक भूमिका
चैत्र नवरात्रि और रामनवमी का समय न सिर्फ पूजा-पाठ का अवसर होता है, बल्कि यह आत्ममंथन और जीवन में सुधार लाने का भी समय होता है। इन दिनों रामायण का पाठ या उसमें वर्णित कथाओं को सुनना बहुत शुभ माना जाता है। रामायण के प्रसंगों में ऐसे कई सूत्र छिपे हैं जो हमारे जीवन को सफल बना सकते हैं। इन्हीं में से एक प्रसंग है हनुमान जी से जुड़ा, जो यह सिखाता है कि किसी भी बड़े कार्य की शुरुआत से पहले किन बातों को अपनाना जरूरी होता है।
सीता माता की खोज – कठिन कार्य की ओर पहला कदम
रामायण में वर्णित है कि जब सीता माता का अपहरण हुआ, तब भगवान राम ने उनकी खोज के लिए वानरों की एक टोली बनाई। यह टोली दक्षिण दिशा में समुद्र किनारे पहुँची। वहीं, जटायु के भाई संपाती से यह जानकारी मिली कि सीता माता लंका में हैं। अब सबसे बड़ा प्रश्न यह था कि लंका जाकर उनकी खोज कौन करेगा? बहुत विचार-विमर्श के बाद यह कार्य हनुमान जी को सौंपा गया। यह कार्य कठिन था, क्योंकि उन्होंने कभी सीता माता को देखा भी नहीं था।
तीन महत्वपूर्ण कदम – हनुमान जी की कार्यशैली
लंका जाने से पहले हनुमान जी ने जो तीन कार्य किए, वे आज भी जीवन में अपनाने योग्य हैं। पहला, उन्होंने सभी वानरों को प्रणाम किया, भले ही वे उनसे छोटे या कम अनुभवी थे। यह विनम्रता का प्रतीक था। दूसरा, उन्होंने बुजुर्ग और अनुभवी जामवंत जी की बातें ध्यान से सुनीं और मार्गदर्शन लिया, जो गंभीरता का परिचय था। तीसरा, उन्होंने भगवान श्रीराम को हृदय में स्मरण किया और आशीर्वाद लेकर यात्रा प्रारंभ की। यह श्रद्धा और आत्मविश्वास का सुंदर उदाहरण है।
आत्मविश्वास और सफलता का रहस्य
इन तीन बातों को अपनाकर हनुमान जी ने कहा कि “मेरा मन बहुत प्रसन्न है।” यह प्रसन्नता उनके आत्मविश्वास का परिणाम थी। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक वे वापस नहीं लौटते, सभी वानर वहीं रुकें। इससे स्पष्ट होता है कि जब कार्य की शुरुआत सही भावना और तैयारी से की जाती है, तो मन में डर की जगह विश्वास और शांति का वास होता है। यही कारण था कि हनुमान जी लंका की यात्रा में सफल हुए।
जीवन में अपनाएं हनुमान जी की सीख
आज के जीवन में जब भी कोई बड़ा निर्णय या कार्य आरंभ करना हो, तो हमें हनुमान जी की तीन बातों को अपने व्यवहार में लाना चाहिए – विनम्रता, गंभीरता और प्रसन्नता। विनम्रता से संबंध मजबूत होते हैं, गंभीरता से सही दिशा मिलती है और प्रसन्नता से कार्य में आत्मविश्वास आता है। अगर हम इन तीन बातों को जीवन का हिस्सा बना लें, तो कोई भी कठिनाई हमें हमारे लक्ष्य से भटका नहीं सकती।






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