खंडवा नगर निगम में शुक्रवार की सुबह कुछ अलग ही रंग में शुरू हुई। नगर निगम के सभागार में जैसे ही साधारण सभा का आयोजन शुरू हुआ, माहौल सभागार का नहीं, किसी रंगमंच का सा लगने लगा। लेकिन यह मंच सजावट के लिए नहीं, बल्कि सवालों के कटघरे में तब्दील हो चुका था। विपक्षी पार्षद तख्तियों, बैंड-बाजे और एक खिलौनेनुमा डायनासोर के साथ पहुंचे थे, मानो नगर निगम के भीतर किसी बड़े शिकारी की मौजूदगी का इशारा कर रहे हों। लेकिन असली धमाका तब हुआ, जब इन नेताओं ने हवा में नकली नोट उड़ाकर निगम प्रशासन पर जनता के पैसे की लूट का आरोप लगाया।
नेता प्रतिपक्ष मल्लू राठौर के नेतृत्व में कांग्रेस पार्षदों ने साधारण सभा के बजट सत्र को पूरी तरह विरोध के अखाड़े में तब्दील कर दिया। उनका आरोप था कि नगर निगम जनता के टैक्स के पैसों को ‘लॉलीपॉप’ की तरह जनता को दिखाकर असल में भ्रष्टाचार की फसल काट रहा है। विरोध का अंदाज़ भी कुछ हटकर था — हाथों में तख्ती, बजट के विरोध में चॉकलेट के लॉलीपॉप बांटना और मंच पर खिलौना डायनासोर रखकर संकेत देना कि निगम में ‘भ्रष्टाचार का डायनासोर’ पल रहा है। इतना ही नहीं, सभा के बीच में उन्होंने हवा में नकली नोट उड़ाते हुए यह संदेश देने की कोशिश की कि यहाँ जनता के पैसों की खुलेआम बरबादी हो रही है।
सभा के दौरान विपक्ष के विरोध ने उस समय विवाद खड़ा कर दिया जब उड़ाए गए नकली नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर छपी थी और वह तस्वीर लोगों के पैरों तले आ गई। नगर निगम के सभापति ने इसे गांधी जी का घोर अपमान बताया। हंगामे के बीच जब नेता प्रतिपक्ष को अपनी चूक का अहसास हुआ, तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली। हालांकि, माफी के बावजूद सभापति ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस का इतिहास रहा है कि वे मुद्दों से भटकाने के लिए ऐसे ड्रामे करते हैं और आज महात्मा गांधी के नाम पर राजनीति करने वाले उन्हीं के सम्मान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
मल्लू राठौर ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि खंडवा नगर निगम देश की एकमात्र ऐसी संस्था है जहाँ करोड़ों रुपये के बजट के बावजूद जनता को विकास के नाम पर सिर्फ लॉलीपॉप मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल निगम ने 880 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था और इस वर्ष 528 करोड़ 48 लाख 49 हजार रुपये का बजट बिना चर्चा के, बहुमत के बल पर जबरन पास कर दिया गया। राठौर ने तंज कसते हुए कहा कि यदि खंडवा के 15 लाख की आबादी में यह पैसा बांटा जाए, तो हर व्यक्ति के हिस्से में 10-10 हजार रुपये आ जाएंगे, जिससे वह अपने स्तर पर शहर का विकास कर लेगा। लेकिन निगम हर बार जनता को लॉलीपॉप थमाकर भ्रष्टाचार का खेल खेलता है।
हंगामे के बावजूद नगर निगम के सभापति ने स्पष्ट किया कि विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं और बजट पर विधिवत चर्चा के बाद ही इसे पारित किया गया। उनके अनुसार, इस वर्ष नगर निगम ने शहर के विकास के लिए 528 करोड़ रुपये से अधिक का बजट सर्वसम्मति से पास किया है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष का मकसद सिर्फ हंगामा करना और जनता को गुमराह करना है। गांधी जी के फोटो वाले नोट फेंककर उन्होंने खुद अपने नैतिक मूल्य दिखा दिए। बजट में शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़कों, जल आपूर्ति और सफाई व्यवस्था के लिए कई नई योजनाओं का प्रस्ताव है, लेकिन विपक्ष ने जनता के हित में चर्चा करने की बजाय राजनीतिक स्टंटबाजी की।






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