बुरहानपुर: मध्य प्रदेश के झिरपांजरिया गांव में रहने वाले 75 वर्षीय अंतर सिंह आर्य अपनी दो फीट लंबी मूंछों के लिए पूरे निमाड़ क्षेत्र में मशहूर हैं। गांव के लोग उन्हें ‘मूंछ वाले दादा’ और ‘महाराज’ कहकर सम्मान देते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने जीवन में सिर्फ एक बार मूंछें कटवाई थीं, लेकिन उसके बाद कभी नहीं। उनके लिए यह सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि उनकी पहचान, आत्मसम्मान और परंपरा का प्रतीक है। पीढ़ियों से चली आ रही इस विरासत को संजोने में उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है।
अंतर सिंह आर्य ने बचपन में ही गांव के बुजुर्गों को देखकर लंबी मूंछें रखने का सपना संजो लिया था। तब उन्होंने ठान लिया था कि उनकी भी शानदार मूंछें होंगी, और आज वह सपना हकीकत बन चुका है। उनके लिए मूंछें सिर्फ स्टाइल नहीं, बल्कि ताकत, सम्मान और गरिमा का प्रतीक हैं। गांव के लोग उन्हें महाराज की तरह सम्मान देते हैं और उनकी मूंछों को देखकर वीर योद्धाओं की छवि उभरती है। उनकी इस अनोखी पहचान को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं, और युवा उनसे प्रेरणा लेते हैं कि सच्ची पहचान सिर्फ दिखावे से नहीं, बल्कि परंपरा और संस्कार से बनती है।
अंतर सिंह आर्य अपनी मूंछों की खास देखभाल करते हैं। वे प्राकृतिक तेलों और देसी नुस्खों का इस्तेमाल कर इन्हें संवारते हैं। उनके लिए यह कोई फैशन नहीं, बल्कि परंपरा को जीवित रखने का संकल्प है। गांव वालों को गर्व है कि उनके बीच ‘मूंछ वाले दादा’ जैसे व्यक्तित्व मौजूद हैं, जो संस्कृति और सम्मान की जीवंत मिसाल हैं। बुजुर्गों की यह पहचान नई पीढ़ी के लिए भी एक प्रेरणा है कि गर्व और सम्मान दिखावे से नहीं, बल्कि अपने संस्कारों और मूल्यों से बनते हैं। गांव के लोग कहते हैं, “हमारे मूंछ वाले दादा न सिर्फ गांव, बल्कि पूरे जिले की शान हैं!”