इंदौर की गेर, जिसे रंगपंचमी के अवसर पर मनाया जाता है, मध्य प्रदेश की एक विशेष सांस्कृतिक परंपरा है जो देश-विदेश में प्रसिद्ध है। इस वर्ष, रंगपंचमी 19 मार्च 2025 को मनाई जा रही है, और इस अवसर पर इंदौर में गेर उत्सव का आयोजन किया गया है।
‘गेर’ शब्द ‘घेर’ से निकला है, जिसका मतलब होता है ‘घेरना’। कहा जाता है कि 1945 में इंदौर के टोरी कॉर्नर पर होली खेलते समय लोगों को घेरकर रंग से भरी टंकी में डुबोया गया था, जिससे गेर की शुरुआत हुई। इसके बाद, होली मनाने वाले सामूहिक रूप से एक-दूसरे को रंग लगाने के लिए शहर की सड़कों पर जुलूस निकालने लगे, जो धीरे-धीरे परंपरा में बदल गया। रंगपंचमी के अवसर पर इंदौर में गेर उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं। लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं, और पूरा शहर एक साथ रंग खेलता है। यह उत्सव न केवल स्थानीय निवासियों के लिए, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होता है।
इस वर्ष के गेर उत्सव के लिए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा इंतजाम किए हैं। 4 किलोमीटर लंबे गेर मार्ग को 7 सेक्टरों में बांटा गया है, जहां 5,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। मुख्य क्षेत्र रजवाड़ा पर डीसीपी स्तर के अधिकारी को प्रभारी बनाया गया है। गेर मार्ग को नो व्हीकल जोन घोषित किया गया है, और मार्ग पर आने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग की गई है। इसके अलावा, गेर मार्ग की सभी इमारतों पर भी पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
गेर उत्सव में शामिल होने के लिए विशेष रूप से प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इंदौर पहुंचे हैं। प्रशासन ने सुनिश्चित किया है कि उत्सव के दौरान किसी भी प्रकार का हुड़दंग न हो, और परिवार सहित आने वाले लोग सुरक्षित वातावरण में इस ऐतिहासिक उत्सव का आनंद ले सकें। इंदौर की गेर उत्सव की यह परंपरा शहर की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करती है और सामूहिक उत्सव की भावना को मजबूत करती है।