मध्य प्रदेश के मऊगंज में हुई हिंसा ने पूरे प्रदेश में सनसनी मचा दी। 18 मार्च को हुई इस घटना के बाद सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए तत्काल प्रभाव से मऊगंज की एसपी रसना ठाकुर और कलेक्टर अजय श्रीवास्तव को हटा दिया। गृह मंत्रालय और सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किया गया। सरकार का साफ संदेश है कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
SP रसना ठाकुर और कलेक्टर अजय श्रीवास्तव पर क्यों गिरी गाज?
गृह विभाग के उप सचिव डॉ. इच्छित गढ़पाले के अनुसार, मऊगंज की एसपी रसना ठाकुर को पुलिस मुख्यालय भोपाल में सहायक पुलिस महानिरीक्षक (AIG) के पद पर भेजा गया है। वहीं, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) उज्जैन के एसपी दिलीप कुमार सोनी को मऊगंज का नया पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। इसी प्रकार, कलेक्टर अजय श्रीवास्तव को हटाकर उनकी जगह संजय कुमार जैन को मऊगंज का नया कलेक्टर नियुक्त किया गया है।
मऊगंज में हाल ही में भारी हिंसा हुई थी, जिसमें सहायक उप निरीक्षक (ASI) रामचरण सहित दो लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस दर्दनाक घटना के बाद सरकार पर दबाव था कि वह त्वरित और सख्त कदम उठाए। पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि मऊगंज एसपी को हटाया जाएगा, और अब यह कयास हकीकत में बदल गए हैं।
प्रदेश में बढ़ रही हिंसा, पुलिस अधिकारियों पर एक्शन जारी!
मध्य प्रदेश में बीते कुछ महीनों से हिंसक घटनाओं और अपराध की बढ़ती वारदातों के चलते प्रशासन पर सवाल उठ रहे थे। कई जिलों में इससे पहले भी हिंसा के बाद पुलिस अधिकारियों को हटाया जा चुका है। मऊगंज की घटना ने प्रदेश सरकार को एक बार फिर बड़े फैसले लेने पर मजबूर कर दिया।
सरकार की इस कार्रवाई को “जीरो टॉलरेंस” नीति का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि कानून व्यवस्था की अनदेखी करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। अब सवाल यह उठता है कि क्या इन बदलावों से हालात सुधरेंगे, या फिर मऊगंज जैसी घटनाएं दोबारा देखने को मिलेंगी?
उज्जैन में खाली हुआ EOW एसपी का पद, जल्द होगी नई नियुक्ति!
मऊगंज की एसपी बनने के बाद अब उज्जैन में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) एसपी का पद खाली हो गया है। पुलिस विभाग के अनुसार, जल्द ही राज्य पुलिस सेवा (SPS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों की स्थानांतरण सूची जारी होगी, जिसमें इस पद पर नई नियुक्ति की जाएगी।
प्रदेश में लगातार हो रहे प्रशासनिक फेरबदल से यह साफ हो गया है कि सरकार कानून व्यवस्था को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतना चाहती। लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल अधिकारियों को बदलने से अपराधों पर लगाम लगेगी, या फिर सरकार को कानून व्यवस्था में और कड़े सुधार करने होंगे?
क्या सिर्फ अधिकारियों को हटाने से सुधर जाएगी व्यवस्था?
मऊगंज हिंसा ने प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल दी। सवाल उठ रहे हैं कि अगर स्थानीय प्रशासन पहले ही सतर्क होता, तो शायद हिंसा को रोका जा सकता था। सिर्फ अधिकारियों को हटाना ही हल नहीं है, बल्कि नीतियों को और सख्त बनाना होगा, अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करनी होगी, और पुलिस व्यवस्था को बेहतर बनाना होगा।
सरकार के इस एक्शन के बाद अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या इन बदलावों के बाद मऊगंज में शांति लौटेगी, या फिर आने वाले समय में इसी तरह की घटनाएं दोबारा देखने को मिलेंगी? क्या मऊगंज प्रशासन को अब नई चुनौती का सामना करना पड़ेगा? इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे।