मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक सरकारी अधिकारी ने अपने तबादले के बाद जनपद पंचायत कार्यालय से कीमती सरकारी सामान ऑटो में लादकर अपने साथ ले जाने का सनसनीखेज़ कारनामा कर दिखाया। आरोपों के मुताबिक, पूर्व जनपद सीईओ युक्ति शर्मा ने कंप्यूटर, प्रिंटर, बेड, गद्दा, इंडक्शन और कुकर सहित कई सामान अपने साथ उठाकर ले गईं। इस पूरे मामले ने सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अनियमितताओं को उजागर कर दिया है।
सरकारी सामान पर निजी कब्जा, FIR के आदेश
औबेदुल्लागंज जनपद पंचायत कार्यालय ने 4 अक्टूबर 2024 और 3 मार्च 2025 को युक्ति शर्मा को पत्र लिखकर सरकारी सामान वापस करने को कहा, लेकिन उन्होंने सिर्फ बेड को लेकर जवाब दिया कि यदि इसका बिल जनपद में मौजूद है, तो उसे दिखाया जाए। कंप्यूटर, प्रिंटर, इंडक्शन, कुकर और अन्य सामानों पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
इस मामले में जिला पंचायत सीईओ अंजू पवन भदौरिया ने औबेदुल्लागंज थाने को पत्र भेजकर युक्ति शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, वर्तमान जनपद सीईओ वृंदावन मीणा ने भी थाना प्रभारी को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की और इस पत्र की एक प्रति रायसेन कलेक्टर को भी भेजी गई है।
तबादले के बाद ही शुरू हुआ खेल
27 अगस्त 2024 को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते युक्ति शर्मा को औबेदुल्लागंज जनपद से हटाकर शिवपुरी के पोषण आहार संयंत्र में सीईओ पद पर तैनात किया गया था। लेकिन तबादले की सूचना मिलते ही उन्होंने उसी दिन जनपद कार्यालय से सरकारी सामान ऑटो में भरकर अपने साथ ले जाने की जल्दबाजी दिखाई। कार्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों को इसकी भनक तब लगी जब उन्हें सरकारी संपत्ति की गड़बड़ी का एहसास हुआ।
कर्मचारियों ने लगाए गंभीर आरोप
युक्ति शर्मा के कार्यकाल में जनपद पंचायत सचिवों और कर्मचारियों ने उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। कर्मचारियों का कहना था कि युक्ति शर्मा हर सरकारी कार्य के लिए मोटा कमीशन मांगती थीं, जिसके विरोध में 84 दिनों तक हड़ताल भी चली थी। इस हड़ताल और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उनका स्थानांतरण किया गया।
कर्मचारियों का कहना है कि बेड कुछ सचिवों ने उनकी छोटी बच्ची के लिए दिया था, लेकिन कंप्यूटर, प्रिंटर, इंडक्शन और अन्य सामानों को लेकर उनकी मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस मामले में कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला भी लीपापोती में दफन हो जाएगा?
क्या होगी कार्रवाई?
इस पूरे मामले ने मध्य प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार के एक और नए अध्याय को उजागर कर दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या जिला प्रशासन और पुलिस इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करते हैं, या फिर यह मामला भी बाकी घोटालों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा। क्या जनपद का सरकारी सामान वापस मिलेगा, या फिर जनता के टैक्स के पैसे से खरीदी गई संपत्ति निजी इस्तेमाल में जाती रहेगी? यह एक बड़ा सवाल है, जिसका जवाब केवल आने वाले दिनों में ही मिल सकेगा।