Monday, March 17, 2025

Kuno National Park में बढ़ा चीतों का कुनबा, ‘Gamini’ अपने शावकों संग जंगल में आज़ाद!

श्योपुर (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (KNP) में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। सोमवार, 17 मार्च को मादा चीता ‘गामिनी’ और उसके चार शावकों को जंगल में छोड़ दिया गया। इस फैसले के बाद कूनो में खुले जंगल में विचरण करने वाले चीतों की संख्या 17 हो गई है, जबकि 9 चीते अभी भी बाड़ों में रखे गए हैं। यह कदम भारत में विलुप्त हो चुके चीतों की पुनर्स्थापना में एक अहम पड़ाव माना जा रहा है।

‘गामिनी’ की जंगल में वापसी, कूनो में पर्यटकों के लिए नया आकर्षण!
कूनो में चीतों की यह बढ़ती संख्या न केवल वन्यजीव संरक्षण की सफलता को दर्शाती है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक नई उम्मीद लेकर आई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार (16 मार्च) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट करते हुए लिखा—
“कूनो में बढ़ेगा चीतों का कुनबा! दक्षिण अफ्रीका से आई मादा चीता ‘गामिनी’ अपने दो नर और दो मादा शावकों के साथ खजूरी पर्यटन ज़ोन में खुले जंगल में छोड़ी जाएगी। इससे पर्यटकों को उन्हें प्राकृतिक आवास में देखने का अवसर मिलेगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।”
राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि जंगल में विचरण करते चीतों को देखने के लिए पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि होगी, जिससे क्षेत्रीय पर्यटन उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी।

चीता पुनर्वास परियोजना: चुनौतियां और उपलब्धियां
गौरतलब है कि गामिनी ने 10 मार्च 2024 को छह शावकों को जन्म दिया था, लेकिन उनमें से दो की मौत हो गई थी। इससे पहले 21 फरवरी को मादा चीता ‘ज्वाला’ और उसके चार शावकों को भी जंगल में छोड़ा गया था। यह परियोजना केवल चीतों की संख्या बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे स्थानीय पर्यावरण और जैव विविधता को भी मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था, जिससे भारत में विलुप्त हो चुके इस वन्यजीव की वापसी का ऐतिहासिक अध्याय शुरू हुआ। यह कदम भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में मील का पत्थर साबित हुआ है और सरकार इसे और आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

कूनो नेशनल पार्क: क्या होगा आगे?
चीतों की संख्या में बढ़ोतरी से कूनो नेशनल पार्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन का एक मॉडल बनता जा रहा है। लेकिन इस परियोजना के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं—
✔️ चीतों का अनुकूलन: जंगल में छोड़े गए चीतों को प्राकृतिक परिवेश में ढलने के लिए समय चाहिए।
✔️ शिकार और सुरक्षा: खुले जंगल में शिकार की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।
✔️ इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रबंधन: पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पार्क प्रबंधन को मजबूत करना होगा।

भारत में 70 साल बाद चीतों की वापसी वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। सरकार, वन्यजीव विशेषज्ञों और स्थानीय प्रशासन के निरंतर प्रयासों से यह परियोजना अब अपने अगले चरण में पहुंच गई है। यदि संरक्षण और प्रबंधन प्रभावी ढंग से किया गया, तो कूनो देश के सबसे प्रमुख पर्यटन और जैव विविधता स्थलों में से एक बन सकता है।

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