दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की महिला समृद्धि योजना को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। सरकार ने इस योजना के तहत बीपीएल (Below Poverty Line) श्रेणी की महिलाओं को हर महीने ₹2500 की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है, जिसके लिए 5100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। बीजेपी ने इसे चुनावी वादा पूरा करने की दिशा में कदम बताया है, लेकिन विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इससे सिर्फ सीमित वर्ग की महिलाओं को लाभ मिलेगा, जबकि अन्य महिलाएं इससे वंचित रहेंगी। दिल्ली में करीब 9.91% आबादी गरीबी रेखा के नीचे आती है, यानी लगभग 15 लाख बीपीएल कार्ड धारक हैं, लेकिन इस योजना से सभी महिलाओं को लाभ नहीं मिलेगा। योजना का लाभ केवल 21 से 59 साल की महिलाओं को मिलेगा, जबकि वरिष्ठ नागरिकों को वृद्धावस्था पेंशन का हवाला देकर इससे बाहर रखा गया है। वहीं, सरकारी कर्मचारियों की पत्नियां, पेंशन पाने वाली महिलाएं और आयकर देने वाले परिवारों की महिलाएं इस योजना के दायरे में नहीं आएंगी। साथ ही, कम से कम 5 साल से दिल्ली में रहने की शर्त भी रखी गई है, जिससे प्रवासी महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिलेगा। सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर बीपीएल की शर्त हटा दी जाती, तो सरकार को इस योजना पर काफी अधिक खर्च करना पड़ता। ऐसे में क्या सरकार ने सिर्फ अपने बजट को नियंत्रित करने के लिए यह शर्त जोड़ी है, या फिर यह एक सोची-समझी रणनीति है? इस रिपोर्ट में हम विस्तार से समझेंगे कि यह योजना किन महिलाओं के लिए फायदेमंद है और किन्हें इससे बाहर रखा गया है।
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