इस्लामाबाद: पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की स्थिति को लेकर अक्सर विवाद सामने आते रहते हैं। खासकर जब बात धार्मिक स्वतंत्रता और त्योहारों के खुलेआम आयोजन की होती है, तो कई बार रिपोर्ट्स आती हैं कि वहां हिंदू त्योहारों को मनाने में दिक्कतें होती हैं। हालांकि, एक पाकिस्तानी हिंदू नागरिक के बयान ने इस धारणा को चुनौती दी है। उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान में हिंदू पूरी स्वतंत्रता के साथ अपने त्योहार मनाते हैं और उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होती।
‘पाकिस्तान में कोई रोक-टोक नहीं, हम स्वतंत्र हैं’
पाकिस्तान के कराची स्थित रत्नेश्वर मंदिर में Holi के लिए पहुंचे हिंदू समुदाय के लोगों में से नीतू नामक एक महिला ने बातचीत में कहा, “मैं हिंदू हूं और पाकिस्तान में रहती हूं। मुझे कभी किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। हम अपने त्योहार पूरी स्वतंत्रता के साथ मनाते हैं, सरकार हमारे लिए सुरक्षा प्रदान करती है, और हमारे मुस्लिम पड़ोसियों से भी कोई दिक्कत नहीं होती।” नीतू के इस बयान ने सोशल मीडिया पर चर्चा को जन्म दिया है, क्योंकि यह पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति को लेकर अब तक सामने आई खबरों से अलग है।
हालांकि, पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। भारत और अन्य अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने अल्पसंख्यकों पर होने वाले हमलों, जबरन धर्मांतरण और उत्पीड़न को लेकर कई बार चिंता जताई है। इसके बावजूद, नीतू के बयान ने इस धारणा को चुनौती दी है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को त्योहार मनाने में समस्या होती है।
यूनिवर्सिटी में होली मनाने पर छात्रों को नोटिस!
नीतू के बयान के ठीक विपरीत, 23 फरवरी को कराची की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ‘दाऊद इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी’ में हिंदू छात्रों द्वारा Holi मनाने पर नोटिस जारी किया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ हिंदू छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज कराई गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन छात्रों पर राज्य विरोधी नारे लगाने का आरोप लगाया गया था, जिससे यह सवाल उठने लगे कि क्या पाकिस्तान में Holi मनाना अब अपराध बन गया है?
पाकिस्तान की राजनीति में उठा विवाद, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
इस मामले ने और तूल तब पकड़ा जब पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के पूर्व सदस्य लाल मलही ने सोशल मीडिया पर इसे लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “क्या अब Holi मनाना भी पाकिस्तान में अपराध बन गया है? क्या विश्वविद्यालय में होली मनाना राज्य के खिलाफ कार्य माना जाता है?”
मलही के इस बयान के बाद पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों को लेकर फिर से बहस तेज हो गई है। कई लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर होली जैसा त्योहार मनाने पर एफआईआर हो सकती है, तो पाकिस्तान में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय कितने सुरक्षित हैं?
क्या पाकिस्तान में हिंदुओं को पूरी धार्मिक स्वतंत्रता है?
नीतू का बयान और यूनिवर्सिटी का मामला आपस में विरोधाभासी हैं। एक ओर, कुछ हिंदू नागरिक यह दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तान में उन्हें पूरी स्वतंत्रता मिलती है, वहीं दूसरी ओर, होली मनाने पर ही एफआईआर दर्ज होना बताता है कि पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति अब भी अस्थिर है।
अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान सरकार सच में अल्पसंख्यकों को उनके धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा दे रही है या यह सिर्फ एक दिखावा भर है? यह देखना बाकी है कि पाकिस्तान सरकार इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है और क्या यूनिवर्सिटी प्रशासन अपने फैसले को वापस लेता है?
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