क्रिकेट की दुनिया में IPL देश या पैसा ? क्या है जरूरी, 5 स्टार खिलाड़ियों ने किये चौकाने वाले खुलासे का आकर्षण हर साल बढ़ता जा रहा है, और 2025 में यह ग्लोबल सितारों के लिए एक बार फिर कमाई का सुनहरा मौका बनने जा रहा है। इस बार आईपीएल 2025 के लिए पांच बड़े विदेशी खिलाड़ियों ने अपने देश की राष्ट्रीय टीम की जगह इस लीग में खेलने का फैसला किया है। न्यूजीलैंड के ये 5 स्टार खिलाड़ी पाकिस्तान के खिलाफ आगामी टी20 सीरीज में अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए नहीं खेलेंगे, बल्कि पहले ही अपनी-अपनी आईपीएल फ्रेंचाइजी से जुड़ने का निर्णय ले चुके हैं। सवाल यह उठता है कि क्या अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से ज्यादा पैसा और लीग क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए प्राथमिकता बन चुका है?
IPL 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं और इस बीच न्यूजीलैंड के क्रिकेट बोर्ड (NZC) ने पुष्टि की है कि उनके पांच मुख्य खिलाड़ी—डेवोन कॉनवे, लॉकी फर्ग्यूसन, ग्लेन फिलिप्स, रचिन रवींद्र और मिशेल सेंटनर—नेशनल टीम छोड़कर IPL में खेलने के लिए तैयार हैं। इन खिलाड़ियों ने पाकिस्तान के खिलाफ होने वाली टी20 सीरीज से खुद को अलग कर लिया है। इसका असर न्यूजीलैंड टीम की रणनीति पर जरूर पड़ेगा, लेकिन खिलाड़ियों ने अपने करियर और आर्थिक लाभ को प्राथमिकता देते हुए यह निर्णय लिया है।
IPL आज सिर्फ एक क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, बल्कि एक ग्लोबल ब्रांड बन चुका है, जहां खिलाड़ियों को सिर्फ खेल का मंच ही नहीं बल्कि करोड़ों की कमाई भी मिलती है। हर साल दुनिया भर के टॉप क्रिकेटर इस लीग का हिस्सा बनने के लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस बार न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने भी साफ कर दिया है कि उनके ये खिलाड़ी आईपीएल 2025 में खेलेंगे क्योंकि पाकिस्तान सीरीज के साथ आईपीएल के शेड्यूल का टकराव हो रहा है। बोर्ड ने इसे खिलाड़ियों की भलाई और उनकी प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया निर्णय बताया है।
IPL 2025 में इन खिलाड़ियों की टीमों की बात करें तो डेवोन कॉनवे और रचिन रवींद्र चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा होंगे, जबकि लॉकी फर्ग्यूसन पंजाब किंग्स के लिए मैदान में उतरेंगे। मिशेल सेंटनर मुंबई इंडियंस का प्रतिनिधित्व करेंगे और ग्लेन फिलिप्स गुजरात टाइटंस में शुभमन गिल की कप्तानी में खेलेंगे। ऐसे में साफ है कि पैसा और करियर ग्रोथ अब खिलाड़ियों की प्राथमिकता बन चुकी है, और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट धीरे-धीरे लीग क्रिकेट के आगे कमजोर होता जा रहा है। सवाल यह भी है कि क्या आने वाले समय में राष्ट्रीय टीमों के लिए खेलने का जुनून खत्म हो जाएगा और क्रिकेट पूरी तरह से एक कमर्शियल इंडस्ट्री बनकर रह जाएगा?
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