मथुरा के प्रसिद्ध संत Premanand Maharaj का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने कलियुग को लेकर एक डरावनी भविष्यवाणी की है। संत Premanand Maharaj, जो अपने सत्संग के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं, ने अपने प्रवचनों में बताया कि आने वाला समय किस तरह का होगा और समाज में किस तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। उनके शब्द सुनकर भक्तों की रूह कांप गई। उन्होंने बताया कि कलियुग में सत्य, ईमानदारी और नैतिकता का स्थान धन, छल और कपट ले लेंगे। यह भविष्यवाणी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा का विषय बन गई है।
संत Premanand Maharaj ने बताया कि श्री सुखदेव जी के अनुसार, कलियुग में समाज का मुख्य आधार धन होगा। जिसके पास ज्यादा धन होगा, वही श्रेष्ठ माना जाएगा। उसी को कुलीन और सद्गुणी समझा जाएगा, भले ही उसमें नैतिकता न हो। आज के समाज में भी यही देखने को मिल रहा है कि धनवान व्यक्ति को अधिक सम्मान मिलता है, चाहे उसके चरित्र में कितनी भी खामियां क्यों न हों। प्रेमानंद महाराज की इस बात ने कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या वास्तव में समाज इसी दिशा में बढ़ रहा है?
उन्होंने विवाह संबंधों को लेकर भी एक चौंकाने वाली बात कही। उन्होंने बताया कि पहले शादी से पहले गुण और कुंडली मिलान पर जोर दिया जाता था, लेकिन कलियुग में यह प्रथा समाप्त हो जाएगी। युवक-युवती सिर्फ अपनी पसंद से विवाह करेंगे, चाहे गुण-अवगुण कुछ भी हों। यदि पसंद नहीं आया तो दूसरा विवाह कर लेंगे। यह बदलती सामाजिक व्यवस्था उनके अनुसार नैतिक पतन की ओर संकेत करती है। उनका मानना है कि यह बदलाव समाज में संबंधों की पवित्रता को खत्म कर देगा और मानवीय मूल्यों का ह्रास होगा।
Premanand Maharaj जी ने व्यापार और समाज में बढ़ते भ्रष्टाचार पर भी गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति जितना अधिक छल-कपट और बेईमानी करेगा, उसे उतना ही होशियार और प्रवीण माना जाएगा। जो दूसरों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने में सक्षम होगा, वही समाज में सफल व्यक्ति कहलाएगा। यह धारणा समाज में नैतिकता और ईमानदारी की जड़ों को कमजोर कर देगी। उनका यह कथन आज की स्थितियों को दर्शाता है, जहां छल-कपट करने वालों को ही सफलता का श्रेय दिया जाता है।
संत प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचन के अंत में कहा कि कलियुग में सच्चाई और ईमानदारी पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगी। स्त्री-पुरुष की श्रेष्ठता उनके गुणों से नहीं, बल्कि उनके स्वार्थ और धूर्तता से आंकी जाएगी। जितना अधिक कपट और छल कोई करेगा, उतना ही उसे श्रेष्ठ माना जाएगा। यह भविष्यवाणी एक गहरी चिंता का विषय बन गई है और समाज को आत्ममंथन करने पर मजबूर कर रही है। अब यह समाज पर निर्भर करता है कि वह इस भविष्यवाणी से क्या सीख लेता है और किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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