बांग्लादेश में एक मौलाना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह मदरसे के छोटे बच्चों को जबरन किस करता नजर आ रहा है। यह वीडियो किसी धार्मिक सभा के दौरान का बताया जा रहा है, जहां मौलाना शफीक-उर-रहमान बच्चों से मिलने के बहाने उनके गाल और होंठ पर किस करता हुआ दिखाई दे रहा है। वीडियो सामने आते ही बांग्लादेश में भारी आक्रोश फैल गया है, और लोग इस घटना की कड़ी निंदा कर रहे हैं।
कौन है यह मौलाना? क्यों हो रही है आलोचना?
शफीक-उर-रहमान कोई साधारण मौलाना नहीं, बल्कि बांग्लादेश की कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन जमात-ए-इस्लामी का प्रमुख है। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ गई है, और लोग मौलाना के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। बांग्लादेशी नागरिक यूसुफ खान ने इस वीडियो को ‘एक गंभीर मुद्दा’ बताते हुए लिखा कि यह मजाक करने वाली बात नहीं है, बल्कि हमें इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए जागरूक होना होगा। उन्होंने साफ कहा कि जमात-ए-इस्लामी से जुड़े ऐसे कृत्य बाल यौन शोषण को बढ़ावा देते हैं, जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए।
वीडियो में डरे-सहमे नजर आए बच्चे, मौलाना के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि मदरसे के छोटे बच्चे लाइन में टेबल पर बैठे हैं, और मौलाना एक-एक करके बच्चों के पास जाता है और उन्हें किस करता है। कुछ बच्चों के गाल पर, तो कुछ के होंठों पर जबरन किस किए जाने के दृश्य ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। वीडियो में बच्चों के चेहरे पर भय और असहजता साफ झलक रही है। यह वीडियो सामने आने के बाद बांग्लादेश में धार्मिक नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इस घटना पर कड़ा विरोध जताया है।
पहली बार नहीं, मौलाना के पुराने विवाद भी आए सामने
यह पहली बार नहीं है जब शफीक-उर-रहमान विवादों में आया हो। पिछले साल दिसंबर में भी उसने एक बयान दिया था, जिसमें कहा गया था कि जिन युवाओं ने बांग्लादेश से प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्तापलट किया है, उन्हें प्यार और सम्मान दिया जाना चाहिए। मौलाना के इस बयान ने भी काफी विवाद खड़ा किया था। अब यह नया मामला सामने आने के बाद लोग मांग कर रहे हैं कि उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
सोशल मीडिया पर लोगों का आक्रोश, सरकार से कार्रवाई की अपील
सोशल मीडिया पर हजारों लोग इस वीडियो पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और बांग्लादेश सरकार से अपील कर रहे हैं कि बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। कई लोगों ने यह भी मांग की है कि जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों की गतिविधियों की कड़ी निगरानी की जाए, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।