नई दिल्ली | सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को अब 1.50 लाख रुपये तक का मुफ्त और कैशलेस इलाज मिलेगा। यह सुविधा सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों में उपलब्ध होगी, और किसी भी घायल व्यक्ति को इलाज के लिए फीस जमा नहीं करनी होगी। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) इस योजना की नोडल एजेंसी होगी, जो इसके प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी।
छह राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट रहा सफल, अब पूरे देश में होगी शुरुआत
इस योजना को लागू करने से पहले, सरकार ने पुडुचेरी, असम, हरियाणा और पंजाब सहित 6 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसका परीक्षण किया, जो सफल रहा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस योजना को मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 में संशोधन के बाद शुरू किया गया है। अब इसे देशभर में लागू करने का निर्णय लिया गया है ताकि दुर्घटना पीड़ितों को समय पर इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके।
कैसे मिलेगा कैशलेस इलाज, अस्पतालों को करना होगा फ्री ट्रीटमेंट
NHAI के एक अधिकारी के अनुसार, दुर्घटना के तुरंत बाद घायलों को पुलिस, कोई आम नागरिक या संस्था अस्पताल पहुंचाएगी, जहां तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाएगा। इस दौरान अस्पताल को मरीज का इलाज करने के लिए कोई शुल्क नहीं लेना होगा, चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट। पैनल में शामिल अस्पतालों के अलावा जो अस्पताल सूचीबद्ध नहीं हैं, उन्हें भी यह सेवा देनी होगी।
बड़े अस्पताल में रेफर करने पर भी नहीं लगेगा पैसा
यदि किसी घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार के बाद बड़े अस्पताल में रेफर करने की आवश्यकता होगी, तो यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उसे वहां भर्ती किया जाए। इस योजना के तहत डेढ़ लाख तक का खर्च NHAI द्वारा वहन किया जाएगा, जिससे मरीज या उनके परिजनों को किसी भी तरह की आर्थिक चिंता नहीं होगी।
गोल्डन ऑवर में इलाज से बचेंगी हजारों जानें, जल्द बढ़ सकती है राशि
विशेषज्ञों के अनुसार, दुर्घटना के बाद का पहला घंटा ‘गोल्डन ऑवर’ कहलाता है, जिसमें अगर तुरंत इलाज न मिले तो जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। इसी खतरे को कम करने के लिए यह योजना लाई गई है। सूत्रों की मानें तो सरकार इस राशि को 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रुपये तक करने की योजना बना रही है, जिससे अधिक से अधिक पीड़ितों को फायदा मिल सके। यह योजना सड़क हादसों में मौतों की संख्या को कम करने के लिए एक बड़ी पहल साबित हो सकती है।