भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को ज़बरदस्त गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों के होश उड़ गए। सेंसेक्स 1,414 अंकों की भारी गिरावट के साथ 73,198 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी भी 420.35 अंक लुढ़ककर 22,124 पर आ गया। यह पिछले आठ महीनों में सबसे खराब कारोबारी सत्र रहा, जिसने निवेशकों के करोड़ों रुपये साफ कर दिए। बैंकिंग, आईटी, और ऑटोमोबाइल सेक्टर में भारी बिकवाली देखी गई, जिससे बाजार में दहशत का माहौल बन गया। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण ₹9 लाख करोड़ से ज्यादा घट गया, जिससे आम और बड़े निवेशक भारी नुकसान में चले गए।
क्यों गिरा बाजार? कौन हैं जिम्मेदार?
विश्लेषकों के अनुसार, बाजार में आई इस ऐतिहासिक गिरावट के पीछे कई बड़े कारण हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिला। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली ने भी सेंसेक्स और निफ्टी पर दबाव बढ़ाया। तेल की कीमतों में उछाल, डॉलर की मज़बूती और चीन की अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती ने भी भारतीय शेयर बाजार की गिरावट को और गहरा कर दिया। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में भी उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है, जिससे निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है।
क्या करें निवेशक? घबराएं या मौका बनाएं?
विशेषज्ञों का कहना है कि घबराने की बजाय निवेशकों को इस गिरावट को एक सुनहरा अवसर मानना चाहिए। लॉन्ग-टर्म निवेशकों को मजबूत और फंडामेंटली अच्छे शेयरों में निवेश बनाए रखना चाहिए। वहीं, शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स को फिलहाल सतर्क रहने की सलाह दी गई है। बाजार में गिरावट के बाद सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन यह पूरी तरह वैश्विक और घरेलू आर्थिक कारकों पर निर्भर करेगा। ऐसे में समझदारी और रिसर्च के साथ निवेश करने वाले ही इस संकट को अवसर में बदल सकते हैं। तो क्या यह गिरावट बाजार में निवेश करने का सही समय है, या यह मंदी की शुरुआत? यह तो आने वाला समय ही बताएगा!






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