Mahashivratri : कैलाश पर्वत का नाम सुनते ही हिमालय की पवित्र शिखर की छवि मन में उभरती है, जिसे भगवान शिव का धाम माना जाता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में भी एक ‘छोटा कैलाश’ नामक पवित्र स्थान है, जिसे भगवान शिव और माता पार्वती के विश्राम स्थल के रूप में जाना जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां भगवान शिव ने अपनी धूनी रमाई थी, जो आज भी अखंड जल रही है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस धूनी के दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
पौराणिक कथाओं से जुड़ा छोटा कैलाश
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश यात्रा के दौरान इस स्थान पर कुछ समय के लिए रुके थे। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने ध्यान और तपस्या की थी, जिसका ऊर्जा प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है। इस पवित्र स्थान पर महाशिवरात्रि, सावन और माघ के महीनों में विशेष आस्था देखी जाती है। भक्त यहां शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं, और मानते हैं कि इससे उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
महाशिवरात्रि पर लगता है भव्य मेला
हर साल महाशिवरात्रि के दिन छोटा कैलाश में भव्य मेले का आयोजन होता है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना के लिए आते हैं। मेले के एक दिन पहले भक्त पूरी रात मंदिर में भजन-कीर्तन और अनुष्ठानों में लीन रहते हैं। यह स्थान सिर्फ एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि पौराणिक धरोहर भी है, क्योंकि मान्यता है कि द्वापर युग में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी इस पर्वत चोटी पर एक रात गुजारी थी।
आध्यात्मिक शांति और प्रकृति का अनुपम सौंदर्य
छोटा कैलाश मंदिर जिस पहाड़ी चोटी पर स्थित है, वह अपने आसपास के पर्वतों में सबसे ऊंची मानी जाती है। यहां से दिखने वाले हिमालय की बर्फीली चोटियों के विहंगम नजारे यात्रियों की यात्रा की थकान को दूर कर देते हैं। पहाड़ों के घुमावदार रास्तों से गुजरते हुए जब भक्त यहां पहुंचते हैं, तो उन्हें आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ प्रकृति का अनुपम सौंदर्य भी देखने को मिलता है। यह स्थान भगवान शिव और माता पार्वती की पवित्र स्मृतियों से जुड़ा होने के कारण आध्यात्मिकता और आस्था का केंद्र बना हुआ है।






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