दिल्ली की अदालत ने 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अलग-अलग मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। ईडी का तर्क था कि 21 आरोपी जानबूझकर जांच में देरी कर रहे हैं। अदालत ने मामले में अब तक 12 सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर होने का जिक्र किया।
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को बड़ी राहत दी है। अदालत ने ईडी की याचिका स्वीकार करते हुए मामले में अलग-अलग मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। ईडी ने अपनी याचिका में कहा था कि 60 आरोपियों में से 21 आरोपी ईडी के समन से जानबूझकर बच रहे हैं। इसलिए, जांच में शामिल होने वाले और समन प्राप्त करने वाले आरोपियों के खिलाफ अलग से मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
ईडी ने अब तक 12 सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “उन 21 आरोपियों को समन तामील कराने के लिए पर्याप्त प्रयास किए हैं, लेकिन वे समन से बच रहे हैं या किसी तरह जांच/मुकदमे में देरी करने के लिए उसे टाल रहे हैं।” यह मामला 2013 से चल रहा है और ईडी ने अब तक 12 सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की हैं। अदालत ने शनिवार को ईडी की याचिका स्वीकार कर ली।
अदालत ने इस कानूनी विवाद को भी सुलझाया कि क्या ईडी को अडिशनल या सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति दी जा सकती है, अगर कोई हो, तो जांच पूरी होने पर, जो अभी भी चल रही है या नहीं। आदेश में लिखा है, “पहली अभियोजन शिकायत (चार्जशीट के समकक्ष) और 12वीं अभियोजन शिकायत दाखिल करने के बीच दस साल बीत चुके हैं और आगे की जांच अभी भी लंबित है और अभियोजन को कब तक आगे की जांच के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी जा सकती है। क्या मुकदमे को विभाजित करने की अनुमति अभियोजन द्वारा आगे की जांच के लंबित रहने के कारण नहीं दी जानी चाहिए?”
‘आगे की जांच को रोका नहीं जा सकता’
अदालत ने इस सवाल का जवाब हां में देते हुए साफ किया कि आगे की जांच को रोका नहीं जा सकता। कोर्ट ने कहा, “पहली अभियोजन शिकायत और बारहवीं सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने के बीच पहले ही दस साल बीत चुके हैं और फिर भी आगे की जांच जारी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस तरह के जटिल मामले में आगे की जांच करना, जिसमें अंतरराष्ट्रीय प्रभाव हैं, अपने आप में एक जटिल और कठिन काम है, जिसमें बहुत समय लग सकता है और आगे की जांच करना अभियोजन का एक मूल्यवान अधिकार है, जिसे इस अदालत द्वारा कम नहीं किया जा सकता है।”
अदालत ने आदेश में कहा, “यह अभियोजन एजेंसी का विशेषाधिकार है कि वह वर्तमान मामले की सच्चाई और संपूर्ण प्रभावों का पता लगाने के लिए आगे की जांच करे, जिसमें एलआर (लेटर रोगेटरी) और अन्य माध्यमों से अनुबंधित राज्यों के बाहर से बहुमूल्य जानकारी प्राप्त न होने के कारण समय लग सकता है।” अदालत ने कहा कि 39 आरोपी मुकदमे का सामना करेंगे। इनमें पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, उनके तीन चचेरे भाई, वकील गौतम खेतान, राजीव सक्सेना, क्रिश्चियन मिशेल जेम्स, रतुल पुरी, सुषेन मोहन गुप्ता, अन्य व्यक्ति और संस्थाएं शामिल हैं।