रीवा-सीधी के बीच बनी मध्यप्रदेश की सबसे लंबी सुरंग मोहनिया टनल इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है। 1004 करोड़ की लागत से बनी इस टनल का लोकार्पण शनिवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा किया गया था। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने दावा किया कि यह देश की पहली ऐसी टनल है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मानकों का उपयोग किया गया है। साथ ही, 10 ऐसी तकनीकें हैं, जो इसे खास बनाती हैं।
टनल झांसी (उत्तर प्रदेश) को रांची (झारखंड) से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-39 पर बनी है। 1,456 दिन में बनी सुरंग के साथ 15.5 किलोमीटर के प्रोजेक्ट में सिविल इंजीनियरिंग के सभी प्रयोग सफल रहे हैं। भारत की यह ऐसी सुरंग है, जिसमें सबसे नीचे टनल, फिर बाणसागर की नहर और सबसे ऊपर पुराना सड़क मार्ग है।
सुमेश बाझल,जो इसके प्रोजेक्ट डायरेक्टर, NHAI रहे है उनका कहना है की मोहनिया टनल का काम 14 दिसंबर 2018 से शुरू हुआ था 15 किलोमीटर के पहाड़ को अत्याधुनिक मशीनों से काटकर 2,280 मीटर की सुरंग 1,456 दिन में बनाई गई। हालांकि कार्य सितंबर 2022 में ही पूर्ण कर लिया गया है। इसके बाद आकर्षक साज सज्जा का कार्य किया जा रहा था। ये ऑप्टिकल फाइबर युक्त 2,280 मीटर की टनल है। जिसमें प्रत्येक 300 मीटर के बाद एक टनल से दूसरे टनल में जाने के लिए रास्ता है। देश में पहली बार कोई प्रोजेक्ट तय समय से 6 महीने पहले पूरा हुआ है। 15.5 किलोमीटर के प्रोजेक्ट में सिविल इंजीनियरिंग के सभी टेक्नीक यूज में लाई गई हैं। यह देश का पहली ऐसी सुरंग है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया गया है। सुरंग के अंदर सभी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। यह टनल 100 वर्ष के लिए सोचकर बनाई गई है। दोनों टनलें 24 घंटे चालू रहेंगी। 15.50 किलोमीटर के प्रोजेक्ट में सिविल इंजीनियरिंग के 10 प्रयोग किए गए हैं। एक्वाडक्ट, अंडर पास, ओवर पास, आरओबी, माइनर ब्रिज, मेजर ब्रिज, बॉक्स कल्वर्ट, होम पाइप कल्वर्ट, रिजिट पेमेंट, फिलिजीबल पेवेमेंट आदि आधुनिक तरीके से बनाया गया है। 120 दिन में टनल एक्वाडक्ट 109 दिन में तैयार किया गया है। मतलब, हर जगह एनएचएआई ने समय से पहले कार्य पूरा कर केन्द्र व राज्य सरकार को बोलने का मौका नहीं दिया। फिलहाल इस तरह टनल दुनिया में कहीं नहीं है।प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कहना है कि सुरंग की निगरानी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण करेगा। सीधी और रीवा में छोर में दो कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। वहीं, सुरंग के अंदर फायर फाइटिंग सिस्टम, सर्विलांस कैमरा, एलएचडीएस के माध्यम से टनल के अंदर की गैस को बाहर निकालने का सिस्टम लगाया गया है। अंदर की गैस बाहर करने के लिए 46 एग्जॉस्ट फैन लगाए गए हैं। वहीं, 50 मीटर में हाई मास्क लाइट्स आवश्यकतानुसार एक सैकड़ा कैमरा व एक सैकड़ा पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम लगे हैं।सुमेश बाझल की मानें तो टनल बन जाने से रीवा-सीधी के बीच 7 KM की दूरी घट गई है। आना-जाना आसान होने से मोहनिया घाटी का 45 मिनट का सफर सिर्फ 5 मिनट में तय होगा। मतलब, कुछ ही देर में रीवा से सीधी पहुंच जाएंगे। पहले घाट में आए दिन वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते थे। अब सुरंग बन जाने से सभी वाहन सुगमता से निकलेंगे। ऊर्जाधानी सिंगरौली के भारी वाहन, मशीनें व अन्य सामग्री आसानी से लेकर आएंगे- जाएंगे। टनल जंगली जानवरों की सेफ्टी में भी मददगार है। दरअसल, अब घाट का रास्ता बंद होने से जंगली जानवर अपने एरिया में खुलकर घूम-फिर पा रहे हैं।सुरंग की शुरुआत में देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट भी है। सीधी के छोर पर जहां सुरंग समाप्त होती है, वहां ऊपर से बाणसागर बांध की नहर गुजर रही है। इस नहर से उत्तर प्रदेश राज्य को पानी दिया जाता है। काफी मशक्कत के बाद नहर को बंद कर चार महीने में एक्वाडक्ट का निर्माण किया गया। सुरंग के ऊपर से भी एक अन्य नहर और सड़क गुजर रही है। 6 लेन टनल की लंबाई 2,280 मीटर है। तीन लेन आने के लिए और तीन लेन जाने के लिए हैं। सुरंग को आपस में जोड़ने के लिए अंदर 7 जगह अंडर पास दिए गए हैं। अगर कोई वाहन चालक विपरीत परिस्थितियों में बीच से वापस लौटना चाहे, तो आसानी से लौट सकता है। सेफ्टी के लिए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे, फायर सिस्टम, कंट्रोल रूम और अनाउंसमेंट सिस्टम लगाया गया है।केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को मध्यप्रदेश की सबसे लंबी सुरंग का लोकार्पण किया। रीवा जिले में 1004 करोड़ रुपए की लागत से बनी मोहनिया टनल के लोकार्पण के मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे। ये टनल झांसी (उत्तरप्रदेश) को रांची (झारखंड) से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-39 पर बनी है।