पूर्वी दिल्ली। दिल्ली की सियासत में कुछ भी हो सकता है। 27 वर्षों में पहली बार दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल में यमुनापार की हिस्सेदारी कम हुई है। कुल 16 विधानसभा क्षेत्र में करावल नगर के विधायक कपिल मिश्रा को मंत्रिमंडल में जगह मिली है।
कपिल मिश्रा ने 2015 में AAP से लड़ा था चुनाव
कपिल मिश्रा ने पहली बार वर्ष 2015 में आम आदमी पार्टी (आप) से करावल नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और भाजपा के कद्दावर नेता व चार बार के लगातर विधायक मोहन सिंह बिष्ट को हराया था। इसके बाद आप ने कपिल मिश्रा को पहली बार जीतते ही जल मंत्री बनाया था। बाद में कपिल बागी हो गए थे और आम आदमी पार्टी छोड़ दी थी। बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था।
कैसे बढ़ी कपिल मिश्रा की लोकप्रियता?
वर्ष 2020 में एनआरसी को लेकर यमुनापार में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे। तब कपिल मिश्रा ने खुलकर इसका विरोध किया था और एक हिंदूवादी नेता के रूप में उभरे और उनकी लोकप्रियता बढ़ गई। वर्ष 2025 में भाजपा ने उन्हें फिर से करावल नगर से उतारा और वह जीत गए। उनके अनुभव को देखते हुए इस बार फिर से उन्हें सरकार के मंत्रिमंडल में जगह मिली है।
1993 की भाजपा सरकार में किसे मिली थी जगह?
वर्ष 1993 में दिल्ली में पहली बार भाजपा की सरकार बनी थी। तब यमुनापार से घोंडा व कृष्णा नगर विधायक को मंत्री बनाया गया था। इसके बाद कांग्रेस राज में दो मंत्री व आप सरकार में तीन मंत्री यमुनापार से बनाए गए थे। मौजूदा भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में यमुनापार की हिस्सेदारी कम हुई है।
भाजपा ने 16 में से 11 सीट जीती है, लेकिन एक ही विधायक को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकी है। कपिल मिश्रा ने भाजपा सरकार में मंत्री बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व शीर्ष नेतृत्व का धन्यवाद किया। उन्होंन कहा कि पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी देगी वह उसे बखूबी निभाएंगे।






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